भारत के तिरंगे का महत्व: स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का अर्थ

तिरंगा: एकता और गौरव का प्रतीक
भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे हम 'तिरंगा' के नाम से जानते हैं, केवल एक कपड़ा नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के लिए एकता, गर्व और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। यह ध्वज स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्वों पर गर्व से लहराता है। क्या आपने कभी सोचा है कि स्वतंत्रता दिवस पर हम झंडा 'फहराते' हैं, जबकि गणतंत्र दिवस पर उसे 'खोलते' हैं? इन दोनों क्रियाओं के पीछे एक गहरा अर्थ छिपा है, जो भारत की स्वतंत्रता और संवैधानिक यात्रा के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है.झंडा फहराना: आज़ादी का प्रतीक
जब हम कहते हैं कि 'झंडा फहराया गया', तो इसका अर्थ है कि झंडे को खंभे के निचले हिस्से से ऊपर की ओर ले जाकर हवा में स्वतंत्र रूप से लहराया गया है। यह क्रिया किसी राष्ट्र के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत, विदेशी शासन से मुक्ति और नवजात स्वतंत्रता का प्रतीक है।
स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने का महत्व
भारत हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है, क्योंकि इसी दिन 1947 में हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। इस ऐतिहासिक अवसर पर, प्रधानमंत्री लाल किले, दिल्ली से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। यह 'ध्वजारोहण' भारत के ब्रिटिश राज से मुक्त होकर एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में उदय का प्रतीक है। इस गरिमामयी समारोह के साथ राष्ट्रगान गाया जाता है, जो देश की स्वतंत्रता का उत्सव मनाता है। यह कार्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसके द्वारा हासिल की गई आजादी का स्मरण कराता है.
झंडा खोलना: गणतंत्र की स्थापना का संकेत
'झंडा खोलना' का अर्थ है, खंभे के शीर्ष पर पहले से बंधे और मुड़े हुए झंडे को धीरे से खोलना और हवा में प्रदर्शित करना। इसमें झंडे को नीचे से ऊपर नहीं ले जाया जाता, बल्कि उसे पहले से स्थापित स्थिति से खोला जाता है।
गणतंत्र दिवस पर झंडा खोलने का महत्व
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, जिसने भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। इस दिन, राष्ट्रपति कर्तव्य पथ (पहले राजपथ), नई दिल्ली में राष्ट्रीय ध्वज 'खोलते' हैं। यह 'झंडा खोलना' इस बात का प्रतीक है कि भारत ने पहले ही 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी और अब वह एक पूर्ण गणराज्य है, जिसका अपना संविधान है और जो संवैधानिक सिद्धांतों पर चलता है। यह समारोह देश की संवैधानिक व्यवस्था और उसके लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
स्वतंत्रता और गणतंत्र का उत्सव
दोनों ही समारोह अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और देश के गौरव, एकता और संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करते हैं। यह सूक्ष्म अंतर हमें भारत की आजादी की लड़ाई और उसके गणतंत्र के रूप में स्थापना की पूरी कहानी बताता है।