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भारत के तेल आयात पर पश्चिमी देशों की आलोचना का जवाब: विक्रम दोरईस्वामी

रूस में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने पश्चिमी देशों द्वारा भारत के तेल आयात की आलोचना का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को संकट में नहीं डाल सकता और भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। दोरईस्वामी ने पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंडों पर भी सवाल उठाया और बताया कि भारत-रूस संबंध केवल ऊर्जा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और शांति की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस लेख में जानें उनके विचार और भारत की ऊर्जा नीति के बारे में।
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भारत के तेल आयात पर पश्चिमी देशों की आलोचना का जवाब: विक्रम दोरईस्वामी

भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर जोर

रूस में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने पश्चिमी देशों द्वारा भारत के तेल आयात की आलोचना को नकारते हुए कहा कि कोई भी देश अपनी अर्थव्यवस्था को संकट में नहीं डाल सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।


पश्चिमी देशों का दोहरा मापदंड

दोरईस्वामी ने कहा कि पश्चिमी देश, जो भारत को रूस से तेल न खरीदने की सलाह देते हैं, स्वयं उसी स्रोत से अन्य ऊर्जा और दुर्लभ खनिज खरीद रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया, "क्या यह आपको थोड़ा अजीब नहीं लगता?" और इसे पाखंड करार दिया।


भारत का तेल आयात: एक आवश्यक निर्णय

भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, पहले मध्य पूर्व से तेल खरीदता था। लेकिन 2022 में रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते, जब उसने भारी छूट पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया, तो भारत ने अपने राष्ट्रीय हित में वहां से आयात बढ़ा दिया। यह निर्णय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया।


भारत-रूस संबंधों की गहराई

दोरईस्वामी ने यह भी बताया कि भारत और रूस के बीच संबंध केवल ऊर्जा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक रक्षा साझेदारी भी है। उन्होंने याद दिलाया कि एक समय था जब पश्चिमी देश भारत को हथियार बेचने से मना कर रहे थे।


भारत की ऊर्जा जरूरतें

भारत अपनी ऊर्जा का 80% से अधिक आयात करता है, और वैश्विक बाजार की अस्थिरता सीधे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। राजदूत ने कहा, "क्या आप चाहते हैं कि हम अपनी अर्थव्यवस्था बंद कर दें?" उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ऐसे सुझावों को व्यावहारिक नहीं मानता जो उसकी ऊर्जा जरूरतों की अनदेखी करते हैं।


स्वतंत्र विदेश नीति का संकेत

राजदूत ने यह भी संकेत दिया कि पश्चिमी देश उन देशों के साथ संबंध बनाए रखते हैं जो भारत के लिए खतरा हैं। उन्होंने पूछा, "क्या हम आपसे पूछें कि आप किसके साथ खड़े हैं?" यह बयान भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन को दर्शाता है।


शांति की आवश्यकता

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर बात करते हुए दोरईस्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर मंच पर कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने यह बात न केवल राष्ट्रपति पुतिन से बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से भी कहकर शांति का संदेश दिया है। भारत चाहता है कि यह संघर्ष जल्द समाप्त हो।