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भारत के नए उपराष्ट्रपति: सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत

भारत ने अपना नया उपराष्ट्रपति चुन लिया है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के बी. सुधर्शन रेड्डी को हराकर यह पद हासिल किया। मतदान में 781 सांसदों में से 767 ने भाग लिया, जिसमें राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। यह चुनाव न केवल एनडीए के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह दर्शाता है कि दक्षिण भारत के नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान मिल रहा है। जानें इस चुनाव की पूरी कहानी और राधाकृष्णन के राजनीतिक सफर के बारे में।
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भारत के नए उपराष्ट्रपति: सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत

भारत को मिला नया उपराष्ट्रपति

भारत के उपराष्ट्रपति 2025: देश ने अपना नया उपराष्ट्रपति चुन लिया है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बी. सुधर्शन रेड्डी को हराकर 15वें उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीता है। यह चुनाव संसद में मतदान के बाद संपन्न हुआ, जिसमें राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि सुधर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। इस प्रकार, सीपी राधाकृष्णन ने एक बड़ी जीत हासिल की।


मतदान की प्रक्रिया

कुल 781 सांसदों को वोट डालने का अधिकार
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चला। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के कुल 781 सांसदों को वोट डालने का अधिकार था। इनमें से 767 सांसदों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया, जो कुल 98.2 प्रतिशत मतदान को दर्शाता है। रिटर्निंग ऑफिसर पी.सी. मोदी ने चुनाव परिणाम की घोषणा करते हुए बताया कि कुल 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 वोट अमान्य घोषित किए गए। बहुमत के लिए 377 वोटों की आवश्यकता थी, जिसे राधाकृष्णन ने आसानी से पार कर लिया।


तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति बनने वाले तीसरे नेता

तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति बनने वाले तीसरे नेता
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले तीसरे नेता बन गए हैं, जिन्होंने देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर स्थान पाया है। वह वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। एनडीए ने उन्हें 17 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था। वे ओबीसी वर्ग से आते हैं और कोंगू वेल्लालर-गौंडर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे उन्हें दक्षिण भारत में सामाजिक समर्थन भी मिला।


विपक्ष के उम्मीदवार रहे पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज

विपक्ष के उम्मीदवार रहे पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज
सीपी राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्षी गठबंधन INDIA के उम्मीदवार बी. सुधर्शन रेड्डी से था, जो कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और वे भी दक्षिण भारत से ही ताल्लुक रखते हैं। हालांकि, राधाकृष्णन को एनडीए की मजबूत संख्या और सहयोगी दलों का समर्थन मिलने से निर्णायक बढ़त हासिल हुई।


लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं राधाकृष्णन

लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं राधाकृष्णन
सीपी राधाकृष्णन का राजनीति में सफर काफी लंबा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए। बता दें कि वह 2 बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वे मंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन उस समय नाम की उलझन के कारण मौका हाथ से निकल गया और दूसरे तमिल नेता पोन राधाकृष्णन को मंत्री बना दिया गया। बावजूद इसके राधाकृष्णन पार्टी में अपनी पकड़ बनाए रखी और अब देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचे।


चुनाव में विपक्ष की एकजुटता भी दिखी

चुनाव में विपक्ष की एकजुटता भी दिखी
कांग्रेस की ओर से बताया गया कि कुल 315 विपक्षी सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया, जिससे विपक्ष की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की गई। हालांकि, संख्या बल के आधार पर एनडीए उम्मीदवार की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी।


अनुभवी नेता को मिला देश का दूसरा सबसे ऊँचा पद

अनुभवी नेता को मिला देश का दूसरा सबसे ऊँचा पद
सीपी राधाकृष्णन की यह जीत न केवल एनडीए के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि दक्षिण भारत से आने वाले नेताओं को अब राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका मिल रही है। एक अनुभवी, जमीनी और संगठन से जुड़े नेता के रूप में उनकी भूमिका उपराष्ट्रपति के रूप में कितनी प्रभावशाली होगी, यह आने वाला समय बताएगा।