भारत के नए श्रम कोड: मजदूरों के अधिकारों में सुधार
भारत में श्रम कोड का नया युग
नई दिल्ली: भारत ने श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों को सशक्त बनाने के लिए चार नए श्रम कोड लागू किए हैं। इसके साथ ही, देश के 44 केंद्रीय और 100 से अधिक राज्य कानूनों को एक सरल और आधुनिक ढांचे में समाहित किया गया है। इससे श्रमिकों को वेतन, सुरक्षा और सामाजिक लाभ प्राप्त करने का स्पष्ट और कानूनी अधिकार मिल रहा है। इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ असंगठित क्षेत्रों और ग्रामीण श्रमिकों को होगा, जो अब तक कानूनी सुरक्षा से वंचित थे।
न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और महिलाओं के लिए विशेष सुविधाओं जैसे पहलें इन कोडों के माध्यम से श्रमिकों के लिए नए अवसर और सम्मान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
भारत सरकार द्वारा लागू किए गए चार श्रम कोड हैं:
1. वेतन कोड (2019)
2. औद्योगिक संबंध कोड (2020)
3. सामाजिक सुरक्षा कोड (2020)
4. व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति कोड (2020)
इन कोडों ने 44 केंद्रीय और 100 से अधिक राज्य कानूनों को एकीकृत किया है। कई विरोध प्रदर्शनों के बावजूद, ये कोड श्रमिकों, विशेषकर ग्रामीण, कृषि और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण लाभ लेकर आए हैं।
1. सभी के लिए न्यूनतम वेतन—अब कोई भी कवरेज से बाहर नहीं:
पहले न्यूनतम वेतन केवल "अनुसूचित रोजगार" को मिलता था। अब:
● सभी श्रमिकों—कृषि श्रमिक, घरेलू कामगार, निर्माण श्रमिक, IT कर्मचारी—को कानूनी न्यूनतम वेतन मिलेगा।
● राष्ट्रीय फ़्लोर वेज यह सुनिश्चित करता है कि कोई राज्य इससे कम वेतन निर्धारित नहीं करेगा।
यह ग्रामीण और कृषि श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है।
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2. महिलाओं के लिए समान वेतन और बेहतर सुविधाएँ:
लेबर कोड:
● "समान काम का समान वेतन" लागू करते हैं।
● सुरक्षित नाइट-शिफ्ट की अनुमति देते हैं।
● क्रेच सुविधा अनिवार्य करते हैं।
● मातृत्व लाभ और कार्यस्थल सुरक्षा को मजबूत करते हैं।
यह ग्रामीण महिला श्रमिकों को सशक्त बनाता है।
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3. सामाजिक सुरक्षा—अब गिग, प्लेटफॉर्म और असंगठित श्रमिक भी शामिल:
पहली बार सामाजिक सुरक्षा के दायरे में शामिल:
● गिग वर्कर्स (Zomato, Swiggy, Uber आदि)
● मौसमी कृषि श्रमिक
● अस्थायी/ठेका श्रमिक
ESIC अब छोटे प्रतिष्ठानों और प्लांटेशन श्रमिकों को भी कवर करता है।
PF, पेंशन, बीमा, मातृत्व सहायता अब असंगठित श्रमिक भी प्राप्त कर सकेंगे।
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4. प्रवासी श्रमिकों के अधिकार—अब हर राज्य में लागू:
कानून सुनिश्चित करते हैं:
● अधिकारों की पोर्टेबिलिटी
● आधार-आधारित यूनिफाइड डेटाबेस
● मूल स्थान तक यात्रा के लिए एकमुश्त भुगतान
● दूसरे राज्यों में भी राशन और कल्याण लाभ
यह देशभर में घूमकर काम करने वाले श्रमिकों के लिए एक बड़ा सुधार है।
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5. फिक्स्ड-टर्म श्रमिकों को स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएँ:
अब FTE कर्मचारियों को मिलता है:
● स्थायी कर्मचारियों जैसे सभी लाभ
● केवल 1 वर्ष में ग्रेच्युटी का अधिकार
यह ग्रामीण मौसमी श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव है।
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6. स्वास्थ्य, सुरक्षा और कार्य की शर्तें—अब कानूनी अधिकार:
● मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच
● सख़्त सुरक्षा मानक
● गर्मी, रसायनों और लंबे काम वाले कृषि माहौल के लिए विशेष सुरक्षा
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7. औपचारिकता, पारदर्शिता और शिकायत समाधान की मजबूती:
अब हर श्रमिक को मिलता है:
● अपॉइंटमेंट लेटर
● समय पर वेतन
● Samadhan पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत
● अनिवार्य शिकायत निवारण समितियाँ
● तेज न्यायिक समाधान
यह सभी श्रमिकों, खासकर ग्रामीण श्रमिकों के लिए बड़ा लाभ है।
8. विरोध की कई दलीलें भ्रामक हैं:
"Hire & Fire होगा"—बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। मूल अधिकार जैसे वेतन, ओवरटाइम, ग्रेच्युटी सुरक्षित हैं।
"12 घंटे काम होगा"—अधूरी जानकारी। साप्ताहिक सीमा 48 घंटे है और ओवरटाइम का भुगतान दोगुना है।
"यूनियन कमजोर होंगी"—गलत व्याख्या। यूनियनों को खत्म नहीं किया गया; ढांचा आधुनिक बनाया गया है।
"कानून केवल उद्योगपतियों के लिए है"—निराधार।
वास्तविक लाभ तो श्रमिकों के हैं:
- न्यूनतम वेतन
- स्वास्थ्य जांच
- सामाजिक सुरक्षा
- रोजगार का लिखित प्रमाण
9. कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुख्य लाभ:
- बेहतर सुरक्षा
- औपचारिक रोजगार
- सामाजिक सुरक्षा
- समान वेतन
- गिग वर्कर्स की शामिली
- प्रवासी श्रमिकों को अधिकार
निष्कर्ष: श्रमिकों की गरिमा और सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम। भारत के श्रम कोड श्रमिकों—कृषि, प्रवासी, असंगठित, गिग—के लिए नए अधिकार, नई सुरक्षा और नई गरिमा लेकर आते हैं। यह सिर्फ सुधार नहीं—श्रमिक सशक्तिकरण की नई शुरुआत है। अब मुख्य ज़रूरत है: बेहतर क्रियान्वयन, मज़बूत निगरानी और सभी श्रमिकों तक लाभ पहुँचाना।
