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भारत के पास अमेरिका के 50% टैरिफ का सामना करने के लिए 7 विकल्प

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने देश की अर्थव्यवस्था को चुनौती दी है। भारत के पास इस स्थिति का सामना करने के लिए 7 विकल्प हैं, जिनमें कूटनीतिक बातचीत, अन्य देशों से तेल आयात बढ़ाना, और घरेलू उद्योगों को सब्सिडी देना शामिल है। जानें कि भारत कैसे इस चुनौती का सामना कर सकता है और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने से बेहद असंतुष्ट हैं और उन्होंने इस पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है। भारत के पास इस स्थिति का सामना करने के लिए 7 महत्वपूर्ण विकल्प हैं। ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुँच गया है। यह शुल्क भारत द्वारा रूस से खनिज तेल की निरंतर खरीद के लिए दंड के रूप में लगाया गया है।


भारत ने इस टैरिफ को 'अनुचित और अत्यधिक' करार दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि देश के हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। तेल आयात 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, और कई अन्य देश भी ऐसे कदम उठा रहे हैं।


अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे कपड़ा, रत्न, इंजीनियरिंग सामान, और कृषि उत्पादों की मांग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे निर्यात में कमी आ सकती है और लाखों नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।


भारत के पास 21 दिनों का समय है, जिसमें वह अमेरिका के साथ बातचीत कर सकता है। इस दौरान, भारत टैरिफ कम करने या छूट पाने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर सकता है।


भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत, जिसमें से 40 प्रतिशत रूस से आयात करता है, को अन्य देशों से पूरा करने की कोशिश कर सकता है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और नाइजीरिया जैसे देशों से आयात बढ़ाने का विकल्प भी खुला है।


भारत इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भी उठा सकता है, यह तर्क करते हुए कि ये टैरिफ भेदभावपूर्ण हैं। इसके अलावा, भारत जी20 और ब्रिक्स जैसे मंचों पर समर्थन मांग सकता है।


अगर अमेरिका सहमत नहीं होता है, तो भारत दक्षिण अमेरिका या अफ्रीका के अन्य देशों से खनिज तेल के नए स्रोत तलाश सकता है।


यदि बातचीत में कोई समाधान नहीं निकलता है, तो भारत चुनिंदा अमेरिकी वस्तुओं पर कर लगाकर जवाबी कार्रवाई कर सकता है। इससे पहले, भारत ने 2019 में अमेरिकी बादाम, सेब और स्टील पर कर लगाया था।


भारत घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने पर विचार कर सकता है, जिससे ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव कम हो सके।


अंत में, भारत को अमेरिकी बाजार के विकल्प तलाशने होंगे, खासकर यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के साथ व्यापार बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं।