Newzfatafatlogo

भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना: वकील की प्रतिक्रिया

भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना ने देश में हलचल मचा दी है। 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने इस कृत्य को दैवीय प्रेरणा का परिणाम बताया है। उनके परिवार और साथी वकील इस घटना से नाराज हैं, जबकि किशोर ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। जानें इस विवादास्पद घटना के पीछे की कहानी और किशोर की प्रतिक्रिया।
 | 
भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना: वकील की प्रतिक्रिया

मुख्य न्यायाधीश पर हमला

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस मामले में 72 वर्षीय वकील राकेश किशोर पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। दिल्ली पुलिस ने मयूर विहार निवासी किशोर से सुप्रीम कोर्ट परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की, जिसके बाद उन्हें औपचारिक शिकायत न होने के कारण छोड़ दिया गया।


वकील का दावा

किशोर ने पुलिस और एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि उसने यह कदम किसी दैवीय शक्ति के निर्देश पर उठाया। हालांकि, उसके परिवार और साथी वकील इस घटना से बेहद नाराज हैं, और किशोर ने माफी मांगने से भी साफ इंकार कर दिया।


राजनीतिक संबंधों से इनकार

किशोर ने कहा कि वह जेल जाने के लिए तैयार हैं और किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की बगैर सिर वाली मूर्ति के मामले में सुनवाई के दौरान CJI की टिप्पणियों से उन्हें गहरा आघात लगा। उन्होंने कहा, 'फैसले के बाद मैं सो नहीं पाया। भगवान मुझसे पूछ रहे थे कि ऐसे अपमान के बाद नींद कैसे आ सकती है।' सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के सह सचिव मीनेश दुबे ने कहा कि किशोर 2011 से एसोसिएशन के अस्थाई सदस्य हैं और उन्होंने बहुत कम मामलों में पेशी दी है। घटना के बाद उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया।


किशोर की प्रतिक्रिया


भगवान का मार्गदर्शन

राकेश किशोर ने माफी देने से इनकार किया और कहा कि वह सही थे। किशोर का दावा है कि भगवान का मार्गदर्शन मिलने के कारण ही उन्होंने जूता फेंका। SCBA ने बताया कि किशोर ने कभी स्थाई सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें पूरी नहीं की। घटना के दौरान प्रधान न्यायाधीश शांत और स्थिर रहे, उन्होंने निर्देश दिया कि दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ा जाए।


परिवार और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

किशोर के परिवार ने मीडिया से टिप्पणी करने से मना कर दिया, जबकि साथी वकील और SCBA ने उनके व्यवहार की निंदा की। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वकील को निलंबित कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कोर्ट कक्ष में मौजूद सभी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे विचलित न हों और न्यायपालिका की कार्यशैली को प्रभावित न होने दें।