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भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि, राजनाथ सिंह ने उठाए गंभीर मुद्दे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में भारत के रक्षा निर्यात में हुई वृद्धि की जानकारी दी, जो अब 24,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोग भारत के विकास से असंतुष्ट हैं और भारतीय उत्पादों को महंगा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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भारत के रक्षा निर्यात में वृद्धि, राजनाथ सिंह ने उठाए गंभीर मुद्दे

रक्षा मंत्री का बयान

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि कुछ लोग भारत की तेज़ी से हो रहे विकास से असंतुष्ट हैं और भारतीय उत्पादों को महंगा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि विकास की गति को धीमा किया जा सके। उन्होंने बताया कि भारत का रक्षा निर्यात अब 24,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है, जो देश के रक्षा क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग भारत की विकास दर से खुश नहीं हैं और यह देखना चाहते हैं कि भारत में निर्मित वस्तुएं विदेशी उत्पादों की तुलना में महंगी हो जाएं।


अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, साथ ही रूस से तेल खरीदने के लिए एक अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया है। ट्रंप ने टैरिफ में और वृद्धि और अतिरिक्त प्रतिबंधों की चेतावनी दी है, और भारत से रूस के साथ अपने व्यापार को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" करार दिया है, जबकि उनके सहयोगियों ने नई दिल्ली पर यूक्रेन में रूस के युद्ध को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि इन हालातों का रक्षा निर्यात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है और यह लगातार बढ़ रहा है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने ट्रंप प्रशासन की टैरिफ घोषणाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, इसे अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया है। सरकार ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। रूस के साथ ऊर्जा संबंधों का बचाव करते हुए, सरकार ने स्पष्ट किया कि कच्चे तेल का आयात बाजार की गतिशीलता पर निर्भर है और इसका उद्देश्य भारत के 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, भारत ने यह भी कहा कि कई अन्य देश अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए इसी तरह की खरीदारी करते हैं।