भारत के लिए अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव: मोदी की चुनौती
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस कदम से भारत के निर्यात पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है, जिससे लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ दर में गिरावट आ सकती है। हालांकि, मोदी सरकार ने इस संकट को अवसर में बदलने की रणनीति तैयार की है, जिसमें नए बाजारों की खोज और घरेलू बाजार को सशक्त करने की योजनाएँ शामिल हैं। क्या मोदी इस चुनौती का सामना कर पाएंगे? जानिए पूरी कहानी में।
Aug 26, 2025, 14:55 IST
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अमेरिका के टैरिफ का भारत पर प्रभाव
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और आर्थिक चुनौती प्रस्तुत करता है। पहले मोदी और ट्रंप के बीच की घनिष्ठता को भारत-अमेरिका संबंधों की सबसे बड़ी ताकत माना जाता था। लेकिन ट्रंप के इस कठोर निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंध केवल दोस्ती पर नहीं, बल्कि आर्थिक हितों पर आधारित होते हैं। भारत को जो संकट का सामना करना पड़ रहा है, उसमें लगभग $60 बिलियन (लगभग 5 लाख करोड़ रुपये) का निर्यात प्रभावित होगा, जिसमें टेक्सटाइल, हीरे-जवाहरात, श्रिम्प और कारपेट जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र शामिल हैं। इससे लाखों नौकरियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप के टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में भारत की जगह चीन, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देशों का बढ़ता हुआ प्रभाव चिंता का विषय है, जिससे भारत की जीडीपी ग्रोथ दर में गिरावट की आशंका है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की कमी आ सकती है, जिससे लाखों लोगों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की जगह अब चीन, वियतनाम, मैक्सिको, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी ले सकते हैं। लंबे समय में ये देश भारत के पारंपरिक बाजार को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकते हैं। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भारत की जीडीपी FY2025 में $4,270 बिलियन थी और सामान्य परिस्थितियों में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना थी। लेकिन अमेरिकी निर्यात में गिरावट के कारण यह आंकड़ा घटकर $4,233 बिलियन रह जाएगा। इसके परिणामस्वरूप FY2026 में वृद्धि दर घटकर 5.6% रह सकती है, जो 0.9 प्रतिशत अंकों की कमी को दर्शाता है।
हालांकि, ट्रंप का यह कदम मोदी के लिए एक बड़ा झटका है, लेकिन मोदी की विशेषता यह है कि वे संकटों को अवसर में बदलने में सक्षम हैं। यदि भारत इस स्थिति से सीख लेकर अपने व्यापारिक रिश्तों में विविधता लाता है और घरेलू बाजार को मजबूत करता है, तो यह संकट आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता का आधार बन सकता है।
अब यह सवाल उठता है कि मोदी इस संकट से देश को कैसे उबारेंगे। इसके लिए रणनीति तैयार की जा चुकी है, जिससे प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों का आत्मविश्वास बढ़ा है। बाजारों का विविधीकरण किया जा रहा है और यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ASEAN देशों में नए निर्यात अवसरों की खोज की जा रही है। साथ ही, "मेक इन इंडिया" और "वोकल फॉर लोकल" के माध्यम से घरेलू बाजार को सशक्त किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, यूरोपीय संघ और खाड़ी देशों के साथ व्यापारिक समझौतों की प्रक्रिया तेज की जा रही है। विशेष रूप से टेक्सटाइल और जेम्स-एंड-ज्वेलरी सेक्टर को राहत पैकेज देने की संभावना भी जताई जा रही है।
हालांकि, ट्रंप का यह कदम भारत के लिए तात्कालिक रूप से एक बड़ा आघात है। लेकिन यदि मोदी सरकार तेजी से वैकल्पिक बाजारों और घरेलू प्रोत्साहन नीतियों पर काम करती है, तो यह संकट भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा और आत्मनिर्भरता की मजबूती प्रदान कर सकता है।