भारत के लिए ऐतिहासिक एक्सियम मिशन: शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष में शोध

NASA का एक्सियम मिशन: शुभांशु शुक्ला की उड़ान
NASA Axiom Mission Launch: शुभांशु शुक्ला: एक्सियम मिशन 4 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 41 वर्षों के बाद, कोई भारतीय अंतरिक्ष में एक मिशन पर गया है। यह मिशन NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू हुआ है। यह स्पेसक्राफ्ट 28 घंटे बाद 26 जून को शाम 04:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ेगा।
शुभांशु की उड़ान ने हर भारतीय के दिल में गर्व की भावना भर दी है। यह केवल शुरुआत है, असली लाभ शुभांशु के मिशन के सफल समापन के बाद होगा। शुभांशु अंतरिक्ष में भारत के लिए सात प्रयोग करेंगे, जिनमें मांसपेशियों का पुनर्जनन, सूक्ष्म गुरुत्व में मानव और कंप्यूटर के बीच संपर्क, पादप जीवन विज्ञान, और सूक्ष्म शैवाल की वृद्धि शामिल हैं। ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यह रिसर्च भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), और NASA के सहयोग से की जा रही है।
गुरुत्वाकर्षण के बिना सूक्ष्म जीवों का विकास
शुभांशु अंतरिक्ष में खाद्य सूक्ष्म शैवाल पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण विकिरण के प्रभाव का अध्ययन करेंगे।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) ने इस अध्ययन के लिए डिजाइन तैयार किया है। इस रिसर्च में शुभांशु यह जानने का प्रयास करेंगे कि गुरुत्वाकर्षण के अभाव में सूक्ष्मजीव कैसे विकसित होते हैं। ये सूक्ष्मजीव स्थायी रूप से भोजन उगाने में सक्षम होते हैं, जिसका उपयोग लंबी अंतरिक्ष उड़ानों में किया जा सकता है। इसके अलावा, मिशन के दौरान अंतरिक्ष में मूंग और मेथी के बीजों की वृद्धि का भी अध्ययन किया जाएगा।
क्या डाइबिटीज रोगी अंतरिक्ष में जा सकेंगे?
इंसुलिन लेने वाले डाइबिटीज मरीजों को अंतरिक्ष में जाने की आधिकारिक अनुमति नहीं है, क्योंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण में खून में इंसुलिन का स्तर नियंत्रित करना कठिन होता है। इस मिशन में अंतरिक्ष में ग्लूकोज के व्यवहार पर रिसर्च की जाएगी, जिससे डाइबिटीज के रोगियों की अंतरिक्ष यात्रा की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। मिशन के दौरान, शुभांशु सह यात्रियों के साथ ग्लूकोज मीटर पहनेंगे, और पृथ्वी से रियल टाइम में उनकी इंसुलिन की निगरानी की जाएगी।
अंतरिक्ष में फसलों की वृद्धि
मिशन के दौरान, फसल के बीजों की छह किस्मों पर अंतरिक्ष उड़ान के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य यह जानना है कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए फसलों को कैसे उगाया जा सकता है। मिशन के बाद, कई पीढ़ियों के लिए बीजों की वृद्धि की जाएगी, और बेहतर गुण दिखाने वाले पौधों का चयन जेनेटिक विश्लेषण के लिए किया जाएगा।
548 करोड़ रुपये का खर्च
एक्सियम मिशन 4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जो अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सियम स्पेस और NASA के सहयोग से संचालित हो रहा है। इस मिशन पर भारत ने अब तक लगभग 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें शुभांशु और सह यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग का खर्च भी शामिल है।