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भारत के वांछित आतंकवादी अब्दुल अजीज की मौत, लश्कर-ए-तैयबा को बड़ा झटका

भारत के वांछित आतंकवादी अब्दुल अजीज, जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए वित्तीय और रणनीतिक संचालन का प्रमुख था, पाकिस्तान में निधन हो गया। उसकी मौत को भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। अजीज ने कई प्रमुख आतंकी हमलों में भूमिका निभाई थी और उसकी मौत लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक बड़ा झटका है। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत के वांछित आतंकवादी अब्दुल अजीज की मौत, लश्कर-ए-तैयबा को बड़ा झटका

अब्दुल अजीज का निधन

भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक, अब्दुल अजीज, जो लश्कर-ए-तैयबा के वित्तीय और रणनीतिक संचालन का प्रमुख था, पाकिस्तान के बहावलपुर में एक अस्पताल में निधन हो गया। खुफिया जानकारी के अनुसार, अजीज को 6 मई को भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत किए गए एक सटीक मिसाइल हमले में गंभीर चोटें आई थीं। उसके अंतिम संस्कार में लश्कर के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी और अब्दुर रऊफ जैसे प्रमुख नेता भी शामिल हुए।


अब्दुल अजीज की मौत का महत्व

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अब्दुल अजीज की मौत को भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। अजीज ने 2001 के संसद हमले और 2008 के मुंबई हमलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि वह सीधे तौर पर इन हमलों की योजना में शामिल नहीं था, लेकिन उसने फंडिंग, हथियारों की आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।


लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों का संचालन

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, अजीज ने खाड़ी देशों, ब्रिटेन और अमेरिका में बसे पाकिस्तानी समुदायों और कट्टरपंथी इस्लामी समूहों से धन जुटाकर लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों का संचालन किया। इसके अलावा, वह जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकवादी मॉड्यूल को धन और हथियार उपलब्ध कराता था और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में शामिल था।


अजीज का नेटवर्क

अजीज की भूमिका 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट में भी संदिग्ध रही थी। उसने समुद्री मार्गों से हथियारों और सैटेलाइट फोन की आपूर्ति कर 26/11 हमले को संभव बनाया। उसका नेटवर्क आतंकवादी भर्ती से लेकर सैन्य उपकरणों की तस्करी तक फैला हुआ था।


लश्कर-ए-तैयबा को बड़ा झटका

अब्दुल अजीज की मौत लश्कर-ए-तैयबा के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि वह न केवल आर्थिक स्रोत था, बल्कि संगठन के रणनीतिक नेटवर्क को भी संचालित करता था। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लश्कर की क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।