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भारत के शिक्षा तंत्र में गणित की स्थिति पर चिंताजनक रिपोर्ट

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण ने भारत के शिक्षा तंत्र में गणित की स्थिति को लेकर चिंताजनक तथ्य उजागर किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, छठी कक्षा तक के लगभग 47% छात्र 10 तक के पहाड़े भी नहीं याद कर पाते हैं। कक्षा 3 के छात्रों में केवल 55% बच्चे संख्याओं को सही क्रम में व्यवस्थित कर पाते हैं। इस सर्वेक्षण ने शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर कमियों को उजागर किया है, जो सभी को चिंतित करने वाला है। जानें इस सर्वे की मुख्य बातें और शिक्षा के ढांचे की कमजोरियों पर एक बार फिर से प्रकाश डालने वाली जानकारी।
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शिक्षा मंत्रालय का सर्वेक्षण

भारत के शिक्षा तंत्र की वास्तविकता को समझने के लिए हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक व्यापक सर्वेक्षण किया गया है, जिसने स्कूलों में पढ़ाई के स्तर पर कई चिंताजनक तथ्य उजागर किए हैं। विशेष रूप से गणित के विषय में बच्चों की मौलिक समझ की स्थिति इतनी खराब पाई गई है कि यह सभी को चौंका सकती है।

सर्वेक्षण के अनुसार, छठी कक्षा तक के लगभग 47 प्रतिशत छात्र 10 तक के पहाड़े भी नहीं याद कर पाते हैं। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, क्योंकि 6वीं कक्षा के बच्चे जोड़-घटाव जैसी बुनियादी गणितीय क्रियाओं को भी सही तरीके से समझने में असमर्थ पाए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 53 प्रतिशत विद्यार्थी ही जोड़-घटाव जैसे मूलभूत गणितीय कौशल में सक्षम हैं।

इसी तरह, कक्षा 3 के छात्रों में केवल 55 प्रतिशत बच्चे 99 तक की संख्याओं को सही क्रम में व्यवस्थित कर पाते हैं, जो उनके संख्यात्मक ज्ञान की कमी को दर्शाता है। गणित में पिछड़े बच्चों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा; कक्षा 6 में भाषा और पर्यावरण जैसे विषयों में औसतन 57 प्रतिशत और 49 प्रतिशत अंक मिले, जबकि गणित में यह औसत केवल 46 प्रतिशत था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब किसी विषय में 50 प्रतिशत से कम छात्र सही उत्तर देते हैं, तो यह सीखने में गंभीर कमियों का संकेत है।

हालांकि, कक्षा 9 के छात्रों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। सरकारी स्कूलों के छात्रों ने भाषा में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि निजी स्कूलों के विद्यार्थियों ने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में अच्छी पकड़ बनाई, लेकिन गणित में उनका प्रदर्शन कमजोर रहा। राज्य सरकार और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में गणित की स्थिति और भी चिंताजनक देखी गई।

ग्रामीण और शहरी छात्रों के बीच प्रदर्शन में भी अंतर स्पष्ट दिखाई दिया। ग्रामीण कक्षा 3 के बच्चों ने गणित और भाषा दोनों में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि शहरी क्षेत्र के बच्चे कक्षा 6 और 9 में सभी विषयों में बेहतर साबित हुए। भाषा के विषय में, कक्षा 3 की लड़कियों ने लड़कों की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया, औसतन 65 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, जबकि लड़कों ने 63 प्रतिशत अंक हासिल किए। गणित में दोनों लिंगों ने लगभग समान 60 प्रतिशत अंक अर्जित किए।

इस राष्ट्रीय सर्वेक्षण की विशेषता यह है कि यह एनईपी 2020 के अनुरूप आयोजित किया गया है और 2017, 2021 और 2024 के तीन चक्रों में केवल कक्षा 3 के परिणाम तुलनीय रहे हैं। हालांकि, 2024 का राष्ट्रीय औसत 2017 के स्तर से थोड़ा नीचे रहा, लेकिन कई राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल और उत्तर प्रदेश ने अपने पिछले प्रदर्शन को पार कर एक मजबूत सुधार का संकेत दिया है।