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भारत के शोधकर्ताओं ने इग नोबेल पुरस्कार 2025 में जीती अनोखी खोज के लिए मान्यता

भारत के दो शोधकर्ताओं ने 2025 के इग नोबेल पुरस्कार में अपनी अनोखी खोज के लिए पुरस्कार जीता है। उन्होंने एक ऐसा जूता रैक विकसित किया है जो अल्ट्रावायलेट (UV) लाइट का उपयोग करके जूतों से गंध को नष्ट करता है। यह शोध न केवल विज्ञान में एक महत्वपूर्ण योगदान है, बल्कि यह रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान में नवाचार की प्रेरणा भी देता है। जानें इस पुरस्कार के पीछे की कहानी और अन्य अजीबो-गरीब शोधों के बारे में।
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भारत के शोधकर्ताओं ने इग नोबेल पुरस्कार 2025 में जीती अनोखी खोज के लिए मान्यता

इग नोबेल पुरस्कार 2025: भारत की अनोखी उपलब्धि

इग नोबेल पुरस्कार 2025: भारत के दो शोधकर्ताओं ने 2025 के इग नोबेल पुरस्कार में अपनी अनोखी और समझदारी भरी खोज के लिए पुरस्कार जीता है. एक ऐसा जूता रैक जो अल्ट्रावायलेट (UV) लाइट से गंध को नष्ट करता है.


इग नोबेल पुरस्कार क्या है?
इग नोबेल पुरस्कार एक अनोखा और मजेदार विज्ञान पुरस्कार है, जो ऐसे शोधों को मान्यता देता है जो पहले हंसी उत्पन्न करते हैं, फिर सोचने पर मजबूर करते हैं. इन पुरस्कारों की शुरुआत 1991 में Annals of Improbable Research नामक पत्रिका द्वारा की गई थी. इनका उद्देश्य है वह शोध जो सामान्यत: हास्यास्पद प्रतीत होता है, लेकिन विज्ञान या समाज में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है.


भारत ने जीते 22 इग नोबेल पुरस्कार
हर साल बोस्टन में एक मजेदार पुरस्कार वितरण समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया जाता है, जिसमें कागज के हवाई जहाज उड़ाना, लघु-ऑपेरा और असली नोबेल पुरस्कार विजेता पुरस्कार देते हैं. भारत ने अब तक 22 इग नोबेल पुरस्कार जीते हैं, जिसमें हाल ही में दो भारतीय शोधकर्ताओं का योगदान शामिल है.


पुरस्कार जीतने वाले अन्य अजीबो-गरीब शोध
2025 में कई दिलचस्प और विचित्र शोधों को इग नोबेल पुरस्कार मिला, जिनमें शामिल हैं:

•    इटली के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया कि कैसे इंद्रधनुषी गिरगिटों ने पिज्जा खाना शुरू कर दिया.
•    जापानी शोधकर्ताओं ने यह पाया कि गायों को जेबरा स्ट्राइप्स से रंगने से उनकी मच्छरों से सुरक्षा होती है.
•    जर्मन मनोवैज्ञानिक ने यह बताया कि शराब पीने से लोग विदेशी भाषाओं में बेहतर बोल सकते हैं.
•    एक अमेरिकी चिकित्सक ने 35 वर्षों तक अपनी उंगलियों के नाखून के बढ़ने का अध्ययन किया.


जूते की गंध को नष्ट करने के लिए UV रैक
भारत के दो शोधकर्ताओं विकाश कुमार (शिव नादर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर) और उनके छात्र शोधकर्ता सार्थक मित्तल ने इस अनोखे शोध में योगदान दिया. इस शोध में उन्होंने जूते रखने के रैक में UV लाइट लगाई जो बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है, क्योंकि ये बैक्टीरिया ही जूतों से बदबू फैलाते हैं.


बदबू की वजह से हो रही समस्या
यह विचार एक कॉलेज कैम्पस से उत्पन्न हुआ, जब मित्तल ने देखा कि होस्टल के कमरे के बाहर जूते जमा हो रहे हैं. दोनों ने इस पर और गहराई से अध्ययन किया और पाया कि असल में बदबू की वजह से ही यह समस्या हो रही थी, न कि जूते रखने की जगह की कमी.


इसके बाद उन्होंने डिजाइन, सूक्ष्म जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग का उपयोग करते हुए एक ऐसा रैक तैयार किया जो UV लाइट के माध्यम से जूतों को कीटाणुरहित करता है, जैसे पानी के प्यूरीफायर UV लाइट का उपयोग करते हैं.


भारत की 22वीं इग नोबेल जीत
विकाश कुमार और सार्थक मित्तल भारत के 22वें इग नोबेल विजेता बने हैं. इससे पहले भी भारतीय शोधकर्ताओं ने विभिन्न विचित्र और दिलचस्प शोधों के लिए इग नोबेल पुरस्कार जीते हैं, जैसे बेंगलुरू में एक शोधकर्ता ने नाक में उंगली घुसाने के फायदे का अध्ययन किया था, और एक और भारतीय शोधकर्ता ने हाथियों के शरीर पर गणितीय गणना करके उनके शरीर की सतह क्षेत्र का अध्ययन किया था.


इस शोध का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि हर रोज की छोटी-सी समस्या, जैसे गंध वाले जूते, भी नवाचार के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है. और कभी-कभी, यह दुनिया द्वारा सराहा भी जाता है.