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भारत को चीन के साथ व्यापार में संतुलित नीति अपनाने की आवश्यकता: मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया

पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया ने भारत को चीन के साथ व्यापार में संतुलित नीति अपनाने की सलाह दी है। उन्होंने API पर निर्भरता, अनुचित व्यापार प्रथाएं और साइबर सुरक्षा के जोखिमों पर चिंता जताई। अहलूवालिया का मानना है कि घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़ाने और वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति विविधित करने की आवश्यकता है। जानें उनके विचार और सुझावों के बारे में इस लेख में।
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भारत को चीन के साथ व्यापार में संतुलित नीति अपनाने की आवश्यकता: मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया

चीन के साथ व्यापार नीति पर विचार

पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मॉन्टेक सिंह अहलूवालिया ने सुझाव दिया है कि भारत को चीन के साथ व्यापार के लिए एक सावधानीपूर्वक तैयार की गई नीति अपनानी चाहिए, जो आर्थिक अवसरों और रणनीतिक जोखिमों के बीच संतुलन बनाए। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत सक्रिय फार्मास्यूटिकल सामग्री (API) की आपूर्ति के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हो गया है। अहलूवालिया ने एक साक्षात्कार में कहा कि इसका समाधान आयात को पूरी तरह से रोकना नहीं है, बल्कि घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति को विविधित करना है।


तीन मुख्य चिंताएं
अहलूवालिया ने चीन के साथ व्यापार नीति के संदर्भ में तीन प्रमुख चिंताओं का उल्लेख किया: अनुचित व्यापार प्रथाएं, रणनीतिक निर्भरता, और साइबर सुरक्षा के जोखिम। उन्होंने कहा, "चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और सामान्य परिस्थितियों में इसे एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार माना जाना चाहिए। हालांकि, हमारे पास चीन के प्रति गंभीर सुरक्षा चिंताएं भी हैं।" पहली चिंता चीनी निर्यातों पर गैर-पारदर्शी सब्सिडी है, जो भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके समाधान के लिए उन्होंने एक कुशल प्रणाली की आवश्यकता बताई जो अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ प्रतिकारी शुल्क लगाए।


रणनीतिक निर्भरता और समाधान
दूसरी चिंता API और दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर चीन की निर्भरता है। अहलूवालिया ने कहा, "हम खुद को विश्व की फार्मेसी कहते हैं, लेकिन API के लिए हम चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं।" उन्होंने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) और अन्य देशों के साथ साझेदारी के माध्यम से विविधीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। तीसरी चिंता साइबर खतरों से संबंधित है। उन्होंने कहा, "अविश्वसनीय उत्पादों का उपयोग...साइबर हमले का जोखिम पैदा करता है, जो गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।" इसके लिए उन्होंने घरेलू आपूर्ति या विश्वसनीय स्रोतों पर निर्भरता की सलाह दी।


संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता
अहलूवालिया ने सौर सेल आयात का उदाहरण देते हुए अंधाधुंध प्रतिबंधों के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "सौर सेल चिप्स की तरह नहीं हैं, जिन्हें बाहरी हस्तक्षेप से प्रभावित किया जा सके। चीन ने सौर चिप्स की मांग से दोगुनी क्षमता बनाई है, जिससे कीमतें वैश्विक स्तर पर गिर गई हैं। इनका आयात हमें सौर ऊर्जा क्षमता तेजी से बढ़ाने और लागत कम करने में मदद करेगा।" उन्होंने निष्कर्ष में कहा, "क्या हमें इसका लाभ उठाना चाहिए या उच्च लागत पर घरेलू उत्पादन पर जोर देना चाहिए? हमें एक सावधानीपूर्वक नीति बनानी होगी जो चीन के साथ व्यापार के लाभ उठाए, बिना हमें दबाव में कमजोर बनाए."