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भारत-चीन संबंधों का सफर: हर प्रधानमंत्री की रणनीति का असर

भारत और चीन के बीच संबंधों का इतिहास जटिल और विविधतापूर्ण रहा है। हर प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में अलग-अलग नीतियों को अपनाया, जिससे दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंध प्रभावित हुए। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे नेहरू से लेकर मोदी तक के कार्यकाल में भारत-चीन संबंधों में उतार-चढ़ाव आए और भविष्य में क्या संभावनाएं हैं।
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भारत-चीन संबंधों का सफर: हर प्रधानमंत्री की रणनीति का असर

भारत-चीन संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत-चीन संबंधों का इतिहास: स्वतंत्रता के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध जटिल रहे हैं। हर प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में चीन के साथ अलग-अलग नीतियों को अपनाया, जिसका प्रभाव दोनों देशों के राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक संबंधों पर पड़ा। आइए जानते हैं कि किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भारत-चीन संबंध कैसे रहे।


जवाहरलाल नेहरू का युग...
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाया। 1950 में भारत ने कम्युनिस्ट चीन को मान्यता दी और 1954 में पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी दौरान 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा भी गूंजा। लेकिन तिब्बत पर चीन के कब्जे और सीमा विवाद ने रिश्तों में दरार डाल दी, जिसके परिणामस्वरूप 1962 में युद्ध हुआ, जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा।


लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल
लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान चीन ने भारत को धमकी दी। शास्त्री ने बिना झुके एक मजबूत रुख अपनाया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारत किसी दबाव में नहीं आएगा।


इंदिरा गांधी की नीति
इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत-चीन संबंधों में तनाव बना रहा। 1967 में नाथू ला और चो ला में दोनों सेनाओं के बीच झड़पें हुईं। फिर भी, उन्होंने कूटनीतिक प्रयास किए और 1976 में चीन के साथ राजनयिक संबंध पुनः स्थापित किए।


राजीव गांधी का ऐतिहासिक दौरा
राजीव गांधी ने 1988 में चीन का दौरा किया, जो 1962 के युद्ध के बाद किसी प्रधानमंत्री का पहला दौरा था। इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच कूटनीति और व्यापार के नए रास्ते खोले।


अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी चीन का दौरा किया। उनके प्रयासों से सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि तंत्र स्थापित हुआ और 2006 में नाथू ला दर्रा व्यापार के लिए खोला गया।


मनमोहन सिंह की संतुलित नीति
मनमोहन सिंह ने 2008 और 2013 में चीन का दौरा किया। उनके कार्यकाल में व्यापार और आर्थिक सहयोग में तेजी आई, लेकिन 2013 में लद्दाख में चीनी घुसपैठ ने तनाव बढ़ा दिया।


नरेंद्र मोदी का कार्यकाल
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले। 2014 में शी जिनपिंग ने भारत का दौरा किया, जिसके बाद मोदी ने 2015 में चीन का दौरा किया। हालाँकि, 2020 में गलवान घाटी की हिंसक झड़प ने माहौल को बिगाड़ दिया। मोदी सरकार ने सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ाई और चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया। फिर भी, 2024 और 2025 में दोनों देशों के बीच हुई बैठकों में शांति के प्रयास किए गए हैं।