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भारत-चीन संबंधों में नई हलचल: वांग यी की भारत यात्रा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा से भारत-चीन संबंधों में नई हलचल देखने को मिल रही है। आज शाम उनकी डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात होगी, जो गलवान संघर्ष के बाद तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी के साथ बैठक भी शामिल है, जो आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस यात्रा के मुख्य बिंदु और भविष्य की संभावनाएँ।
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भारत-चीन संबंधों में नई हलचल: वांग यी की भारत यात्रा

जियोपॉलिटिक्स में बदलाव

जियोपॉलिटिक्स के क्षेत्र में गतिविधियाँ फिर से तेज हो गई हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत की यात्रा पर हैं और आज शाम 6 बजे वे अपने समकक्ष डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे। यह बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि गलवान संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था, जो चीन की ओर से उत्पन्न हुआ। अब चीन को यह समझ में आ रहा है कि एक बड़े पड़ोसी देश के साथ मतभेदों को लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता, खासकर जब अमेरिका जैसे बड़े चुनौती सामने हों।


पीएम मोदी के साथ बैठक

वांग यी की भारत यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक भी शामिल है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब मोदी सात वर्षों में पहली बार चीन जाने की योजना बना रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहाँ वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। वांग यी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आएंगे, जिसमें वे डॉ. एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी बातचीत करेंगे।


मोदी-शी बैठक का एजेंडा

विदेश मंत्रियों की वार्ता सोमवार शाम को होगी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, वांग यी और डोभाल मंगलवार सुबह सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता करेंगे। वांग यी की प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक मंगलवार शाम 5:30 बजे होगी, जिसमें वे मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चीन-भारत संबंधों में हालिया प्रगति के बारे में जानकारी देंगे। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने की घोषणा भी जल्द होने की संभावना है।


चीन की नई रणनीति

चीन का भारत के साथ संबंधों में सुधार का एक कारण अमेरिका का दबाव भी है। इसके अलावा, चीन को यह भी लग रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो सकता है, जिससे भारत को लाभ होगा। लेकिन यदि युद्ध समाप्त होता है, तो चीन को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वर्तमान में, चीन अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में लगा हुआ है। कोविड-19 के बाद चीन को बड़ा झटका लगा था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने उसे एक नया अवसर प्रदान किया है।