भारत-चीन संबंधों में बदलाव: ट्रंप की नीतियों का प्रभाव

भारत और चीन के बीच नए समीकरण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीतियों और चीन पर लगाए गए भारी शुल्क ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। इसके साथ ही, भारत और चीन के बीच दशकों पुराने संबंधों में एक अनपेक्षित बदलाव देखने को मिला है। क्या यह बदलाव स्थायी है या ट्रंप की नीतियों का अस्थायी परिणाम? इस जटिल भू-राजनीतिक स्थिति को समझने की आवश्यकता है।ट्रंप के व्यापार युद्ध ने चीन को भारत की ओर झुकने के लिए मजबूर किया है। ट्रंप ने चीन से आयात पर भारी शुल्क लगाया है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। अमेरिका ने भारत पर भी 50% तक का टैरिफ लगाया है, खासकर रूस से तेल खरीदने पर।
इन नीतियों का प्रभाव चीन पर पड़ा है, जिसने अब भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसमें वीज़ा नियमों में ढील देना और डायरेक्ट फ्लाइट्स की पेशकश शामिल है। चीनी राजदूतों ने भारत को 'मित्र' बताया है और चीन को एक 'खुला और मैत्रीपूर्ण' राष्ट्र के रूप में पेश किया है।
हालांकि, भारत इस मामले में सतर्क है। भारत का मानना है कि चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए सीमा पर स्थिरता आवश्यक है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद से भारत ने चीन पर भरोसा नहीं किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब लाने के लिए मजबूर किया है। चीन, जो अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध की तैयारी कर रहा है, भारत के साथ स्थिर संबंध चाहता है। भारत भी अमेरिका की अनिश्चितताओं के बीच अपनी कूटनीतिक चालों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
चीन की ओर से भारत को 'मित्र' कहने और वीज़ा नियमों में ढील देने के कदम, अमेरिका के कड़े रुख के बीच उठाए जा रहे हैं। भारत, जो तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, चीनी कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार है। लेकिन, भारत को यह याद रखना होगा कि चीन के इरादे क्या हैं।