भारत-जर्मनी संबंधों में नई मजबूती: अमेरिका का दबाव असफल

भारत-जर्मनी संबंधों की मजबूती
भारत-जर्मनी संबंध: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। इसके साथ ही, वे अन्य देशों पर भी दबाव बना रहे हैं कि वे भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर करें। ट्रंप के द्वारा भारत पर लगाए गए उच्च टैरिफ के चलते, वे चाहते हैं कि अन्य देश भी ऐसा ही करें। लेकिन भारत ने भी इस दौरान चुप नहीं बैठा है। भारत के पास दो दुश्मनों के मुकाबले दस दोस्त हैं। यह बात पूरी दुनिया जानती है कि भारत इस समय व्यापार के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, इसलिए अधिकांश देश भारत के साथ संबंध खराब करने से बच रहे हैं।
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। कई देश अब अमेरिकी दबाव का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसी संदर्भ में, जर्मनी ने स्पष्ट किया है कि वह भारत पर किसी भी अमेरिकी प्रतिबंध का समर्थन नहीं करेगा। इसके बजाय, जर्मनी ने यह संदेश दिया है कि वह भारत के साथ अपनी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।
जर्मनी के विदेश मंत्री का बयान
जर्मनी के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल के भारत दौरे के दौरान यह बयान महत्वपूर्ण है। ट्रंप प्रशासन ने यूरोप से अनुरोध किया था कि वे भारत पर सेकेंडरी टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगाएं। हालांकि, जर्मनी ने इस अनुरोध को ठुकराते हुए भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया।
भारत-जर्मनी संबंधों का नया अध्याय
भारत-जर्मनी संबंधों में नया अध्याय
विदेश मंत्री वेडफुल ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और तेजी से उभरती हुई शक्ति है। हमारे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं और इन्हें और मजबूत किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अमेरिका की नाराजगी के बावजूद समर्थन
अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत को समर्थन
व्हाइट हाउस चाहता था कि यूरोप भी भारत पर वही प्रतिबंध लगाए जो अमेरिका ने रूस से तेल खरीद पर लगाए हैं। लेकिन जर्मनी ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में भारत के साथ खड़ा रहेगा और किसी भी दबाव में नहीं आएगा।
भारत का कड़ा रुख
भारत का कड़ा रुख
भारत ने ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत का कहना है कि यूरोप और चीन दोनों रूस से ऊर्जा खरीद रहे हैं, लेकिन उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया। केवल भारत को निशाना बनाना अनुचित है।
रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
जर्मनी ने कहा कि भारत के साथ साझेदारी केवल ऊर्जा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि रक्षा, तकनीक और व्यापार में भी नए अवसरों की खोज की जाएगी।