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भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के ठिकानों पर किया हमला

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल कार्रवाई की। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया गया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिका में इस ऑपरेशन के नाम के पीछे की गहराई को समझाया, जिसमें उन्होंने बताया कि यह नाम सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व रखता है। जानें इस ऑपरेशन की पूरी कहानी और थरूर के विचार।
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भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों के ठिकानों पर किया हमला

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद की कार्रवाई

नई दिल्ली: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर का संचालन किया। इस सर्जिकल ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया और 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस साहसिक कार्रवाई के बाद, भारत का एक प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने के लिए यात्रा कर रहा है।


कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा। वहां नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित संवाद सत्र में जब थरूर से 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसका गहराई से उत्तर दिया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर एक अत्यंत सटीक और प्रतीकात्मक नाम है। सिंदूर का रंग खून के रंग से मिलता-जुलता है। जब आतंकवादियों ने विवाहित महिलाओं के पतियों को मारा, तो उन्होंने उनके सिंदूर को भी उजाड़ दिया। इसलिए यह कार्रवाई ‘सिंदूर का बदला खून’ कही जा सकती है।”


थरूर ने हिंदी के प्रसिद्ध मुहावरे ‘खून का बदला खून’ का उल्लेख करते हुए इसे प्रतीकात्मक रूप में ‘सिंदूर का बदला खून’ बताया। उन्होंने अमेरिकियों को सिंदूर की सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्ता समझाते हुए कहा, “सिंदूर हिंदू परंपरा में विवाहित महिलाओं द्वारा माथे पर लगाया जाता है और यह उनकी शादीशुदा पहचान का प्रतीक होता है। पहलगाम हमले में जब आतंकियों ने विवाहित पुरुषों की हत्या की, तो यह केवल जान लेना नहीं, बल्कि उनके परिवारों की खुशियों को उजाड़ने जैसा था। इसी कारण इस ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया।”


यह ध्यान देने योग्य है कि 22 अप्रैल को हुए इस आतंकवादी हमले में 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई थी। इस नृशंस घटना के बाद देशभर में गहरा आक्रोश फैल गया और लोग सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग कर रहे थे। इसके परिणामस्वरूप, 7 मई की रात को भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान और पीओके में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया।