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भारत ने ओआईसी बैठक में सिंधु जल संधि की बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया

हाल ही में इस्तांबुल में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक में भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को फिर से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों के पालन की अपील की गई। इस दौरान, कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जिसमें अन्य देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया। जानें इस बैठक के प्रमुख बिंदु और इसके संभावित प्रभाव।
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सिंधु जल संधि की बहाली की अपील

भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की हालिया बैठक में पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को फिर से लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। यह बैठक रविवार को तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित की गई थी, जिसमें 57 इस्लामिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौरान, दोनों देशों से अपील की गई कि वे सिंधु जल संधि और अन्य द्विपक्षीय समझौतों का पालन करें। ओआईसी के इस आग्रह को पाकिस्तान के समर्थन में देखा गया।


बैठक के दौरान, सीएफएम ने कहा कि दक्षिण एशिया में हाल की सैन्य गतिविधियों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमले किए। उन्होंने दोनों देशों से संयम बरतने और आक्रामकता से बचने की अपील की। इसके साथ ही, सिंधु जल संधि को बाधित न करने की भी सलाह दी गई।


इस्लामिक देशों की इस बैठक में कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जिसमें अन्य देशों ने पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया। सीएफएम ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और ओआईसी के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीरी लोगों के मानवाधिकारों का समर्थन करने की बात कही।


पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार इस बैठक में शामिल होने के लिए तुर्की गए थे, जहां उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोआन से भी मुलाकात की।


सिंधु जल संधि का इतिहास 1960 से जुड़ा है, जब भारत और पाकिस्तान ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत, दोनों देशों के बीच नदियों के पानी का साझा उपयोग होता है। हाल ही में, भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस संधि को निलंबित कर दिया था, जिससे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा। इस निर्णय के बाद पाकिस्तान के नेताओं ने भारत को युद्ध की धमकी दी थी।