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भारत ने कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियों को किया खारिज

भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला पूरी तरह से द्विपक्षीय है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी की आवश्यकता नहीं है। एर्दोगन के बयान पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया आई है, जिसमें उन्होंने कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर सुलझाने की बात कही थी। इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में कई द्विपक्षीय मुलाकातें कीं।
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भारत ने कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणियों को किया खारिज

भारत का स्पष्ट रुख

भारत-तुर्की विवाद: भारत ने शुक्रवार को दोहराया कि जम्मू-कश्मीर का मामला पूरी तरह से द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की दखलंदाजी की आवश्यकता नहीं है। यह प्रतिक्रिया तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में कश्मीर पर की गई टिप्पणी के बाद आई।


विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारा कश्मीर मुद्दे पर रुख स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी विवाद का समाधान केवल द्विपक्षीय तरीके से ही होगा। किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है।”


एर्दोगन का बयान

भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम

एर्दोगन ने अपने भाषण में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते पर संतोष व्यक्त करते हुए कश्मीर विवाद को “संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के आधार पर संवाद से सुलझाने” की बात कही। यह रुख पाकिस्तान के प्रति उनके पूर्व में व्यक्त किए गए समर्थन की पुनरावृत्ति थी।


भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

भारत ने इस बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियाँ अस्वीकार्य हैं। जायसवाल ने कहा, “हम इस तरह के बयानों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह भारत की आंतरिक संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मामला है। तुर्की के राजदूत को इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है।”


जम्मू-कश्मीर की समस्या

उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की असली समस्या पाकिस्तान की नीतियों से उत्पन्न होती है। “बेहतर होता कि एर्दोगन सीमा पार आतंकवाद पर सवाल उठाते, जो आज भी कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है,” जायसवाल ने कहा।


विदेश मंत्री की मुलाकातें

विदेश मंत्री मार्को रूबियो से हुई बैठक

इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अपने कूटनीतिक कार्यक्रमों के दौरान कई द्विपक्षीय मुलाकातें कीं। उन्होंने साइप्रस के विदेश मंत्री से मुलाकात कर उत्तर साइप्रस मुद्दे के स्थायी समाधान के प्रति भारत का समर्थन दोहराया। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से हुई बैठक में दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, व्यापार, ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों पर साझेदारी मजबूत करने पर चर्चा की।


भारत की स्थिति

भारत की यह सख्त प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब अंकारा और इस्लामाबाद के रिश्ते लगातार गहरे हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने हाल ही में भारत विरोधी अभियानों में तुर्की निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया था। भारत ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मुद्दा है और इस पर किसी भी प्रकार की बाहरी टिप्पणी या हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।