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भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कार्रवाई तेज की

भारत ने खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस और उसके आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कठोर कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एनआईए ने पन्नू के खिलाफ नया मामला दर्ज किया है, जो प्रधानमंत्री को तिरंगा फहराने से रोकने वाले को 11 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा के बाद आया है। इस कार्रवाई के तहत, पन्नू द्वारा जारी विवादास्पद नक्शे और अन्य गतिविधियों की भी जांच की जा रही है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की साजिश।
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भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कार्रवाई तेज की

खालिस्तानी संगठन पर शिकंजा

नई दिल्ली: भारत ने खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और उसके आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ कठोर कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पन्नू के खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया है।


एनआईए ने यह कार्रवाई उस विवादास्पद टिप्पणी के आधार पर की है, जिसमें पन्नू ने प्रधानमंत्री को लाल किले पर तिरंगा फहराने से रोकने वाले को 11 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी। यह बयान पन्नू ने 10 अगस्त को पाकिस्तान के लाहौर प्रेस क्लब में आयोजित 'मीट द प्रेस' कार्यक्रम में वाशिंगटन से वीडियो लिंक के माध्यम से दिया था।


इस दौरान, पन्नू ने एक विवादित नक्शा भी जारी किया, जिसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को शामिल किया गया। इसके अलावा, एसएफजे ने 'शहीद जत्था' नामक एक समूह भी बनाया है, जो भारत के खिलाफ कार्य कर रहा है।


एनआईए ने इस मामले में बीएनएस 2023 की धारा 61(2) और यूएपीए की धारा 10 व 13 के तहत मामला दर्ज किया है। अब एजेंसी इस साजिश में शामिल अन्य व्यक्तियों और नेटवर्क के विस्तार की जांच करेगी।


इससे पहले, कनाडा में पन्नू का करीबी सहयोगी इंद्रजीत सिंह गोसल गिरफ्तार हुआ था। गोसल को खालिस्तानी चरमपंथियों में एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता है। उसकी गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि एसएफजे के खिलाफ एजेंसियों ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।


जून 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद, गोसल खालिस्तानी संगठन एसएफजे का एक प्रमुख कनाडाई आयोजक बन गया था। उसने खालिस्तान के समर्थन में कई जनमत संग्रह आयोजित किए थे, जिनका उद्देश्य पंजाब से अलग एक स्वतंत्र खालिस्तान राष्ट्र की मांग को समर्थन दिलाना था।


सूत्रों के अनुसार, भारतीय एजेंसियां नियमित रूप से कनाडा की एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा कर रही हैं। हालांकि, पहले बाबर खालसा इंटरनेशनल जैसे संगठनों की जानकारी साझा की जाती रही है, लेकिन इस बार ध्यान मुख्य रूप से 'सिख फॉर जस्टिस' पर केंद्रित है।