भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग को समाचार पत्रों की आपूर्ति रोकी
भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग को समाचार पत्रों की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया है, जो कूटनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठाया गया, जब पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग की बुनियादी सुविधाओं को बाधित किया। जानें इस स्थिति के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
Aug 12, 2025, 18:05 IST
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भारत की जवाबी कार्रवाई
कूटनीतिक तनाव के बढ़ने के बीच, हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग को समाचार पत्रों की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया है। यह कदम भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठाया गया, जब पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग की बुनियादी सुविधाओं को बाधित किया।
इस कदम के पीछे क्या कारण था?
सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद, पाकिस्तान के स्थानीय अधिकारियों ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को समाचार पत्रों की आपूर्ति रोक दी थी। यह ऑपरेशन सीमा पार आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए था। इसके जवाब में, भारत ने दिल्ली में पाक उच्चायोग को समाचार पत्रों की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया।
बुनियादी ज़रूरतों को निशाना बनाया जा रहा
इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों और उनके परिवारों के लिए स्थिति कठिन हो गई है।
भारतीय उच्चायोग को गैस की पाइप सप्लाई बाधित कर दी गई है, जिसके कारण राजनयिकों को स्थानीय बाजारों से महंगे दामों पर गैस सिलेंडर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
पैकेज्ड पेयजल की आपूर्ति भी गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है, जिससे दैनिक आवश्यकताएँ प्रभावित हो रही हैं।
इसके अलावा, भारतीय अधिकारियों के आवासों पर स्थानीय समाचार पत्रों की डिलीवरी भी रोक दी गई है।
इन कार्रवाइयों को भारतीय राजनयिकों को परेशान करने के लिए जानबूझकर उठाए गए कदमों के रूप में देखा जा रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक मानदंडों का उल्लंघन कर सकते हैं।
वियना कन्वेंशन का उल्लंघन?
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह व्यवहार राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन हो सकता है। यह कन्वेंशन मेजबान देशों को विदेशी दूतावासों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने और राजनयिकों तथा उनके परिवारों की गरिमा और सुरक्षा की रक्षा करने के लिए बाध्य करता है। वियना कन्वेंशन के तहत, सभी मेजबान देशों को राजनयिक मिशनों के कार्यों को सुगम बनाने की आवश्यकता होती है, जिसमें बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच और निर्बाध संचार सुनिश्चित करना शामिल है।