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भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ के खतरे के बारे में चेतावनी दी

भारत ने पाकिस्तान को तवी नदी में संभावित बाढ़ के खतरे के बारे में चेतावनी दी है। यह चेतावनी उत्तरी भारत में हो रही भारी बारिश के कारण जारी की गई है, जिससे प्रमुख बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा है। भारत ने इस चेतावनी को मानवीय आधार पर भेजा है, जबकि सिंधु जल समझौते के तहत पानी के आंकड़ों का आदान-प्रदान निलंबित कर दिया गया था। जानें इस स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए गए हैं।
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भारत ने पाकिस्तान को बाढ़ के खतरे के बारे में चेतावनी दी

भारत की मानवीय चेतावनी

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद, भारत ने एक बार फिर मानवता को प्राथमिकता देते हुए पाकिस्तान को संभावित बाढ़ के खतरे के बारे में चेतावनी दी है। उत्तरी भारत में हो रही भारी बारिश के कारण प्रमुख बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ा है, जिससे तवी नदी में बाढ़ आने की संभावना बढ़ गई है। इस खतरे के मद्देनजर, भारत ने बुधवार को पाकिस्तान को एक नई चेतावनी जारी की। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह चेतावनी विदेश मंत्रालय के माध्यम से इस्लामाबाद को "मानवीय आधार" पर भेजी गई है। एक सूत्र ने बताया कि मंगलवार को एक चेतावनी भेजी गई थी और बुधवार को फिर से तवी नदी में बाढ़ की आशंका को लेकर एक और अलर्ट जारी किया गया है।


यह चेतावनी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने इस वर्ष 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते के तहत नियमित रूप से पानी के आंकड़ों का आदान-प्रदान निलंबित कर दिया था। यह निर्णय 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले के बाद लिया गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इसके बावजूद, भारत ने यह चेतावनी इसलिए भेजी ताकि "सीमा पार जान-माल का नुकसान होने से बचाया जा सके।"


यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब उत्तर भारत में भारी बारिश हो रही है। पंजाब में सतलुज, ब्यास और रावी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि जम्मू में भी मूसलाधार बारिश ने स्थिति को गंभीर बना दिया है, जिससे अधिकारियों को प्रमुख जलाशयों के गेट खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा है। तवी नदी हिमालय से निकलकर जम्मू से होते हुए पाकिस्तान में चेनाब नदी में मिल जाती है। 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करता है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए इस समझौते को "स्थगित" कर दिया था.