भारत ने फ्रांस के सहयोग से विकसित किया फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट इंजन
भारत ने फ्रांस के सहयोग से फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट इंजन बनाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है। पीएम मोदी ने इस निर्णय के माध्यम से भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है। यह कदम भारत को अपने खुद के लड़ाकू विमानों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। जानें इस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
Aug 25, 2025, 13:59 IST
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भारत का ऐतिहासिक निर्णय
फरवरी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तब भारत को एफ 35 लड़ाकू विमान की पेशकश की गई थी। भारत ने अपनी डील को लेकर सावधानी बरती और हर पहलू पर विचार किया। आपको याद होगा कि केरल के एयरपोर्ट पर लगभग 37 दिन तक यह एफ 35 खड़ा रहा, और दो हफ्ते बाद इसे हैंगर में ले जाने की अनुमति मिली। अब अमेरिका का एफ 35 विमान लगातार समस्याओं का सामना कर रहा है। जापान में इसके लैंडिंग की भी खबरें आई हैं। इन सभी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, भारत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अमेरिका द्वारा दी गई धमकियों के बावजूद, पीएम मोदी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। उन्होंने पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और उनके इंजन के निर्माण के लिए फ्रांस के साथ सहयोग का ऐलान किया है। यह निर्णय अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है। फ्रांस भारत को फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट का इंजन बनाने की तकनीक प्रदान करेगा। इसका मतलब है कि भारत अब मेक इन इंडिया के तहत अपने खुद के लड़ाकू विमानों का निर्माण करेगा।
फ्रांस का सहयोग
आपको बता दें कि वर्तमान में केवल चार देश फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट के इंजन बनाने में सक्षम हैं: रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस। अब फ्रांस ने भारत को अपनी तकनीक देने का निर्णय लिया है। यह जानकारी इस बात का संकेत है कि चीन, जो पिछले 20-25 वर्षों में अरबों डॉलर खर्च करने के बावजूद सफल नहीं हो पाया, अब भी रूस के इंजन को संशोधित कर रहा है। फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट का इंजन बनाना एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है। एक फाइटर जेट इंजन को 50,000 फीट की ऊंचाई पर काम करना होता है, जहां तापमान माइनस 50 डिग्री तक गिर सकता है। ऐसे में, इंजन को 2000 डिग्री सेंटीग्रेट पर ईंधन जलाने की आवश्यकता होती है। यह तकनीकी चुनौती को और भी कठिन बनाता है।
भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट इंजन की तकनीक बेहद जटिल है, लेकिन फ्रांस भारत को यह तकनीक प्रदान कर रहा है। हाल ही में, पीएम मोदी ने 15 अगस्त को इस बात का संकेत दिया था कि भारत जल्द ही स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट के इंजन बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। उन्होंने भारतीय नवप्रवर्तकों और युवाओं से आह्वान किया कि वे इस चुनौती को स्वीकार करें। इसके छह दिन बाद, 22 अगस्त को यह घोषणा की गई कि भारत फ्रांस के सहयोग से फिफ्थ जेनरेशन के लड़ाकू विमानों का इंजन बनाएगा।
अमेरिका के लिए झटका
यह खबर अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिका हमेशा से भारत को फाइटर जेट इंजन के मामले में दबाव में रखता आया है। भारत का तेजस लड़ाकू विमान अमेरिका में निर्मित इंजन पर निर्भर है, लेकिन पिछले दो वर्षों से अमेरिका जानबूझकर इन इंजनों की आपूर्ति में देरी कर रहा है। अमेरिका ने भारत पर दबाव डाला है कि तेजस के इंजनों की आपूर्ति तभी होगी जब भारत एफ 35 विमान खरीदेगा। लेकिन अब भारत ने अपनी स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।