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भारत ने रूस के कलिनिनग्राद में भेजा चावल, अमेरिका की चिंता बढ़ी

भारत ने रूस के कलिनिनग्राद क्षेत्र में 390 टन चावल भेजकर वहां के लोगों को खुश कर दिया है। इस क्षेत्र में अमेरिका और नाटो देशों की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, जिससे तनाव की स्थिति बनी हुई है। रूस ने स्पष्ट किया है कि वह अपने इस रणनीतिक क्षेत्र की रक्षा करेगा। जानें इस क्षेत्र का महत्व और भारत की सहायता के पीछे की कहानी।
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भारत ने रूस के कलिनिनग्राद में भेजा चावल, अमेरिका की चिंता बढ़ी

भारत की सहायता से खुश हुए रूस के लोग

भारत ने अचानक रूस के कलिनिनग्राद क्षेत्र में लाखों किलो चावल भेजा है, जहां अमेरिका और नाटो देशों की सैन्य गतिविधियाँ बढ़ रही हैं। इस क्षेत्र में भारत का 390 टन चावल पहुंचने पर स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। रूस की सरकार और मीडिया ने भारत की इस सहायता की सराहना करते हुए कहा कि सच्चे दोस्त वही होते हैं जो संकट में साथ खड़े होते हैं। अमेरिका और नाटो देशों द्वारा जिस क्षेत्र को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है, भारत ने उसे फिर से आबाद करने का प्रयास किया है।


कलिनिनग्राद का महत्व

कलिनिनग्राद क्षेत्र हाल के दिनों में वैश्विक चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिकी जनरल के बयान और रूस की प्रतिक्रिया ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। रूस ने स्पष्ट किया है कि यदि अमेरिका या नाटो सेनाएँ इस क्षेत्र पर हमला करती हैं, तो इससे तीसरे विश्व युद्ध की संभावना बढ़ सकती है। रूस अपने इस रणनीतिक क्षेत्र की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है।


भारत का चावल भेजने का निर्णय

भारत ने हाल ही में कलिनिनग्राद में 390 टन चावल भेजा है, जिसमें से 125 टन का एक नया कंसाइनमेंट शामिल है। यह चावल भारत और रूस के बीच के संबंधों को और मजबूत करता है। कलिनिनग्राद में एक शिपयार्ड है, जहां रूस ने भारत के लिए दो स्टील्थ फ्रीगेट बनाए हैं। इन फ्रीगेट्स का नाम तुशिल और तमाल है।


कलिनिनग्राद का भूगोल

कलिनिनग्राद क्षेत्र पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित है, लेकिन यह रूस की मुख्य भूमि से कटा हुआ है। नाटो और पश्चिमी देशों का मानना है कि पुतिन इस क्षेत्र का उपयोग यूरोप पर हमले के लिए कर सकते हैं। यह क्षेत्र सुवाल्की गैप पर भी नियंत्रण स्थापित करने में मदद कर सकता है, जो नाटो देशों को बाल्टिक देशों से जोड़ता है।