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भारत ने सिंधु जल संधि निलंबन के बाद चिनाब पर 3200 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर किया

भारत ने अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इसके बाद, सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जल विद्युत परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। हाल ही में, पर्यावरण मंत्रालय के विशेषज्ञ पैनल ने किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 260 मेगावाट के दुलहस्ती स्टेज-II हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस परियोजना की लागत 3200 करोड़ रुपये से अधिक है। पाकिस्तान की खेती पर इस कदम का गहरा प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि वहां की 80 फीसदी कृषि सिंधु नदी बेसिन पर निर्भर है।
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भारत ने सिंधु जल संधि निलंबन के बाद चिनाब पर 3200 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर किया

भारत का कड़ा कदम

नई दिल्ली: अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया। इस संधि के निलंबन के बाद, भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में जल विद्युत परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रही है। इसी क्रम में, पर्यावरण मंत्रालय के एक विशेषज्ञ पैनल ने किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 260 मेगावाट के 'दुलहस्ती स्टेज-II' हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी है।


3200 करोड़ का प्रोजेक्ट, संधि निलंबन के बाद मिली रफ्तार

दुलहस्ती स्टेज-II हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की योजना पहले से ही बनाई गई थी, लेकिन अब इसे लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। दिसंबर 2025 में, हाइडल प्रोजेक्ट्स पर विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने अपनी 45वीं बैठक में इसे आगे बढ़ाने की अनुमति दी। समिति ने स्पष्ट किया कि इस प्रोजेक्ट के पैरामीटर मूल रूप से 1960 की संधि के अनुसार निर्धारित किए गए थे, लेकिन अब यह संधि 23 अप्रैल 2025 से प्रभावी रूप से निलंबित है। अब इस रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट के लिए निर्माण टेंडर जारी किए जाएंगे। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3,200 करोड़ रुपये से अधिक है।


दुलहस्ती स्टेज-II का प्लान

यह नई परियोजना मौजूदा 390 मेगावाट के दुलहस्ती स्टेज-I हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का विस्तार है, जिसे एनएचपीसी द्वारा 2007 से संचालित किया जा रहा है। नई योजना के तहत, स्टेज-I पावर स्टेशन से निकलने वाले पानी को 3,685 मीटर लंबी और 8.5 मीटर व्यास वाली एक अलग सुरंग के माध्यम से मोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट में एक भूमिगत पावरहाउस का निर्माण भी शामिल है, जिसमें 130 मेगावाट की दो इकाइयां होंगी। यहां से सालाना 260 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होगा।


भारत की आक्रामकता और अन्य प्रोजेक्ट्स

जब सिंधु जल संधि लागू थी, तब पाकिस्तान के पास सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर अधिकार था, जबकि भारत के पास रावी, ब्यास और सतलुज का नियंत्रण था। लेकिन संधि के निलंबित होने के बाद, केंद्र सरकार सिंधु बेसिन में कई रुकी हुई हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। दुलहस्ती के अलावा सवालकोट, रतले, बुरसर, पाकल दुल, क्वार, किरू और कीरथाई जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर भी युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है।


पाकिस्तान की खेती पर गहरा संकट

भारत के इस कदम से पाकिस्तान की चिंताएं और बढ़ गई हैं। संधि के स्थगित होने के बाद से, पाकिस्तान ने कई बार भारत पर झेलम और चिनाब नदियों का पानी रोकने का आरोप लगाया है। हाल ही में पाकिस्तान की एक आंतरिक रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया था कि चिनाब नदी के बहाव में कमी आई है। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति इसलिए भी गंभीर है क्योंकि वहां की 80 फीसदी खेती सिंधु नदी बेसिन से मिलने वाले पानी पर निर्भर है। यदि पानी के बहाव में कमी आती है, तो पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ना तय है।