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भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर: क्या रूस से तेल खरीद में कमी आएगी?

अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया है। यह कदम भारत द्वारा रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद के खिलाफ उठाया गया है। भारत ने इस निर्णय को अनुचित बताया है और कहा है कि वह रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है क्योंकि यूरोपीय देशों ने आपूर्ति बंद कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो इससे वैश्विक तेल कीमतें बढ़ सकती हैं। जानें इस विवाद का भारत की ऊर्जा रणनीति पर क्या असर पड़ेगा।
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भारत पर अमेरिकी टैरिफ का असर: क्या रूस से तेल खरीद में कमी आएगी?

अमेरिका का नया टैरिफ

US India Oil Tariff: 6 अगस्त 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। यह निर्णय भारत द्वारा रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद के खिलाफ उठाया गया। वर्तमान में, भारत प्रतिदिन 1.7 से 2.0 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीद रहा है।


भारत का प्रतिक्रिया

अमेरिका ने कहा था रूस से तेल खरीदने के लिए
भारत ने इस कदम को "अनुचित" करार दिया और बताया कि वह रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है क्योंकि यूरोपीय देशों ने रूस से आपूर्ति बंद कर दी थी। भारत ने यह भी याद दिलाया कि अमेरिका ने पहले कहा था कि भारत को वैश्विक ऊर्जा संतुलन बनाए रखने के लिए रूसी तेल खरीदना चाहिए।


रूस का बढ़ता महत्व

रूस है भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता
रूस, जो पहले भारत की तेल जरूरतों का केवल 2% पूरा करता था, अब 35-40% आपूर्ति कर रहा है। भारी छूट के कारण भारत ने इसका भरपूर लाभ उठाया है, जिससे रिफाइनरियों के मुनाफे में वृद्धि हुई है।


छूट में कमी

पहले की तुलना में छूट घटी
हालांकि, अब रूसी छूट में कमी आई है। पहले 12 डॉलर प्रति बैरल की छूट थी, जो अब केवल 2.2 डॉलर रह गई है। इससे भारत के लिए रूसी तेल कम लाभदायक हो गया है। यदि भारत को अब रूस के बजाय पश्चिम एशिया, अमेरिका या अफ्रीका से तेल खरीदना पड़ा, तो उसे हर साल 25 से 40 हजार करोड़ रुपये अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं।


कच्चे तेल की कीमतों पर प्रभाव

कच्चे तेल की कीमतों पर संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अचानक रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो इससे वैश्विक तेल कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे देश में पेट्रोल-डीजल महंगे होंगे, महंगाई बढ़ेगी और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ेगा।


चीन और रूस पर प्रभाव

चीन का प्रभाव सीमित, रूस पर भी असर संभव
भारत के हटने से चीन उतना अतिरिक्त तेल नहीं खरीद सकेगा, जिससे रूस को भी आर्थिक झटका लग सकता है। ऐसे में रूस के पास छूट फिर से बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।


भारत की रणनीति

भारत की रणनीति, संतुलन बनाए रखना जरूरी
भारत का रुख स्पष्ट है कि सस्ता और भरोसेमंद तेल जहां से मिलेगा, वहीं से खरीदा जाएगा, जब तक उस पर कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध न हो। रूस के तेल पर फिलहाल केवल 'प्राइस कैप' है, कोई सीधा प्रतिबंध नहीं है। इसलिए भारत रूस से तेल खरीद जारी रख सकता है, ताकि घरेलू ईंधन कीमतों को नियंत्रित किया जा सके और आम आदमी को राहत मिले।