भारत पर अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: उद्योगों में चिंता का माहौल

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे कई उद्योगों में चिंता की लहर दौड़ गई है। इस टैरिफ का सबसे बड़ा प्रभाव रिलायंस जैसे बड़े उद्योगों पर पड़ने की संभावना है, जिससे देश के कई उद्योगपति चिंतित हैं।
एक अगस्त से लागू हुए इस टैरिफ के बाद, अमेरिका ने भारत पर भारी शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी। इस निर्णय का भारतीय उद्योगों पर गहरा असर पड़ेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, डायमंड और ज्वैलरी जैसे क्षेत्रों में इस टैरिफ का नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। ट्रंप का कहना है कि भारत अमेरिका के उत्पादों पर अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक टैरिफ लगाता है।
फार्मा और ज्वैलरी उद्योग पर सबसे अधिक प्रभाव
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से सितंबर की तिमाही में फार्मा और ज्वैलरी उद्योग को सबसे बड़ा नुकसान होगा, जिसमें निर्यात में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इसमें प्रमुख रूप से हीरा और ज्वैलरी शामिल हैं। अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि के कारण इन उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी। भारत हर साल अमेरिका को आठ अरब डॉलर की जेनेरिक दवाएं भेजता है, जिसमें सन फार्मा और स्पिला जैसी कंपनियों को 30 प्रतिशत राजस्व मिलता है।
रिलायंस और अन्य रिफाइनरी कंपनियों को नुकसान
अगर अमेरिका के टैरिफ के कारण रूस से तेल का आयात बंद होता है, तो रिफाइनरी कंपनियों को बड़ा झटका लगेगा। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को नुकसान होगा, लेकिन सबसे अधिक प्रभावित रिलायंस रिफाइनरी होगी, जिसने इस वर्ष रूस से प्रतिदिन पांच लाख बैरल तेल खरीदने का समझौता किया था।
कपड़ा उद्योग को अधिक नुकसान
भारत में निर्मित कपड़े बड़े पैमाने पर अमेरिका भेजे जाते हैं। टैरिफ बढ़ने से कपड़ों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अन्य देशों को लाभ होगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की कीमतें बढ़ेंगी
भारत अमेरिका को स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात करता है। वर्तमान में, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। हालांकि, नए टैरिफ के लागू होने के बाद, यहां निर्मित फोन का अमेरिका में निर्यात करना मुश्किल हो जाएगा।