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भारत पर अमेरिकी टैरिफ: पूर्व विदेश मंत्री विलियम हेग की चेतावनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिससे वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है। पूर्व ब्रिटिश विदेश मंत्री विलियम हेग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है और इसे उसी तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि भारत टैरिफ के खिलाफ नहीं झुकेगा और अन्य देशों के साथ सहयोग करेगा। इस स्थिति का भारत के निर्यात पर संभावित प्रभाव और अमेरिका के साथ व्यापारिक बातचीत की जटिलता पर भी चर्चा की गई है।
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भारत पर अमेरिकी टैरिफ: पूर्व विदेश मंत्री विलियम हेग की चेतावनी

अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद

अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसके चलते वैश्विक स्तर पर इसकी आलोचना हो रही है. इस संदर्भ में, ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री विलियम हेग ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. एक मीडिया पॉडकास्ट में उन्होंने कहा, 'भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र और सभ्यता है, जिस पर उसे गर्व है. सभी देशों को इसे समझना होगा. यदि आप भारत पर टैरिफ लगाते हैं, तो वह पीछे नहीं हटेगा, बल्कि अन्य देशों के साथ सहयोग करना शुरू कर देगा.'


हेग का यह बयान भारत की आर्थिक नीतियों और उसकी वैश्विक स्थिति पर एक बार फिर से ध्यान केंद्रित करता है. भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है, और यह स्पष्ट है कि कोई भी एकतरफा निर्णय भारत को अपनी दिशा बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.



ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव


ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक व्यापारिक समीकरणों को प्रभावित किया है. यह कदम रूसी तेल खरीद और हथियारों के आयात के जवाब में उठाया गया है, लेकिन इसका असर भारत के $48 बिलियन के निर्यात पर पड़ने की संभावना है.


केविन हैसेट का बयान


अमेरिकी राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने भी ट्रम्प के टैरिफ पर टिप्पणी की थी. उन्होंने भारत के साथ व्यापारिक बातचीत को 'जटिल' बताया और आरोप लगाया कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार को खोलने में 'अड़ियल' रवैया अपनाए हुए है. उन्होंने कहा, 'अगर भारतीय नहीं झुकते, तो मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति ट्रंप भी झुकेंगे.' हैसेट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के साथ बातचीत की जटिलता का एक प्रमुख कारण रूस पर लगाया जा रहा दबाव है, जिसका उद्देश्य शांति समझौते को सुनिश्चित करना और लाखों लोगों की जान बचाना है.