भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन की भूमिका: एक विश्लेषण

दोस्ती का असली चेहरा
सच्चा मित्र वही होता है जो संकट के समय आपके साथ खड़ा रहे। हालांकि, कुछ दोस्त ऐसे होते हैं जो केवल बातें करते हैं, लेकिन मुश्किल में साथ छोड़ देते हैं। हाल ही में, पहलगाम में निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने पलटवार करने की कोशिश की, लेकिन भारत के उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम ने उनके ड्रोन और मिसाइलों को नाकाम कर दिया। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस संकट में उसका मित्र चीन मदद करेगा, लेकिन चीन ने संतुलित रुख अपनाया।
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव
एक महीने बाद, मध्य पूर्व में स्थिति और भी गंभीर हो गई, जब ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू हुआ। अमेरिका ने इजरायल का समर्थन किया, लेकिन चीन, जो ईरान का पुराना मित्र है, केवल बयानबाजी तक सीमित रहा।
चीन की निष्क्रियता
ईरान के मित्रों ने युद्ध को पसंद नहीं किया, लेकिन इजरायल के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे। राष्ट्रपति ट्रम्प के द्वारा ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हमले के बाद, रूस और चीन ने तनाव कम करने की अपील की। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि मध्य पूर्व की अस्थिरता से वैश्विक शांति पर खतरा है।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन की भूमिका
इस वर्ष की शुरुआत में, चीन ने भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने का आग्रह किया। पाकिस्तान, जो चीन का करीबी मित्र है, ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पलटवार करने की कोशिश की, जिसमें चीनी फाइटर जेट्स का उपयोग किया गया। लेकिन भारत ने पाकिस्तान के कई हवाई अड्डों को नष्ट कर दिया, और चीन के एयर डिफेंस सिस्टम विफल रहे।
ईरान का समर्थन नहीं
जब इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो ईरान ने जवाब दिया। लेकिन संकट के समय चीन ने केवल बयानबाजी की। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में युद्धविराम का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।