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भारत-पाकिस्तान संघर्ष में विमान हानि पर नई बहस

कैप्टन शिव कुमार के हालिया बयान ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में विमानों की हानि पर नई बहस को जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि युद्ध के पहले दिन भारत को कुछ लड़ाकू विमान खोने पड़े, क्योंकि सरकार ने केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने की अनुमति दी थी। इस मुद्दे पर राजनीतिक ध्रुवीकरण और सरकारी पारदर्शिता की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।
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भारत-पाकिस्तान संघर्ष में विमान हानि पर नई बहस

कैप्टन शिव कुमार का बयान

कैप्टन शिव कुमार ने बताया कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध के पहले दिन कुछ लड़ाकू विमान खोने पड़े। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह थी कि शुरुआत में सरकार ने केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने की अनुमति दी थी।


ऑपरेशन सिंदूर पर विवाद

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय लड़ाकू विमानों के गिरने के मुद्दे पर फिर से विवाद उठ खड़ा हुआ है। यह विवाद तब और बढ़ गया जब एक नौसेना अधिकारी ने इंडोनेशिया में एक सेमिनार में इस पर टिप्पणी की। कैप्टन शिव कुमार के बयान को इस बात का प्रमाण माना जा रहा है कि भारत के कुछ लड़ाकू विमान गिरे। इससे पहले, सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद के दौरान रक्षा प्रमुख अनिल चौहान ने भी इसी तरह की बातें की थीं।


सरकार के लिए चुनौती

यह बयान नरेंद्र मोदी सरकार के लिए दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर असहजता पैदा करता है। पहला, यह संकेत देता है कि भारत को लड़ाकू विमान गंवाने पड़े। दूसरा, यह दर्शाता है कि सेना को उतनी स्वतंत्रता नहीं थी, जितनी सरकार ने बताई थी। भारत सरकार ने इस विषय पर न तो स्पष्ट खंडन किया है और न ही पुष्टि की है, जिससे आम जनता में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।


राजनीतिक ध्रुवीकरण का प्रभाव

देश में तीखे राजनीतिक ध्रुवीकरण के कारण, जब भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए गए, तो दूसरी ओर के लोग सवाल पूछने वालों की देशभक्ति पर सवाल उठाने लगे। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस विषय पर चर्चा हो चुकी है। ऐसे में, यदि सरकार इस मामले की पूरी जानकारी आधिकारिक रूप से जारी करे, तो देश को क्या नुकसान होगा? यह सच है कि प्रारंभिक झटके के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर गहरी चोट की। अंततः, भारत का पलड़ा ही भारी रहा। सरकारी पारदर्शिता से यह सच और भी स्पष्ट हो जाएगा।