Newzfatafatlogo

भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव: तालिबान और चीन की भूमिका

जम्मू-कश्मीर में हालिया आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है। भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया है। तालिबान ने इस हमले की निंदा की है और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश की है, जिससे पाकिस्तान और चीन में बेचैनी बढ़ गई है। जानिए इस जटिल स्थिति में तालिबान और चीन की भूमिका के बारे में।
 | 
भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव: तालिबान और चीन की भूमिका

भारत-पाकिस्तान संबंधों में नई चुनौतियाँ

Pakistan Afghanistan Ties: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई और भारत के ऑपरेशन को ब्रिटेन, फ्रांस, इज़राइल और अमेरिका जैसे देशों से समर्थन मिला, जिससे पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गया। इस बीच, तालिबान शासित अफगानिस्तान ने भी हमले की निंदा की और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए, जिससे पाकिस्तान और चीन में चिंता बढ़ गई।


तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद से खराब हो गए थे। पाकिस्तान ने तालिबान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को शरण देने का आरोप लगाया, जिसके परिणामस्वरूप 2024 में हमलों में 70% की वृद्धि हुई। इस बीच, भारत के तालिबान के साथ बढ़ते संपर्क, विशेषकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच 15 मई 2025 को हुई बातचीत ने चीन को सक्रिय किया।


चीन की रणनीति और पाकिस्तान की मजबूरी

बीजिंग में 20-21 मई को हुई त्रिपक्षीय वार्ता में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की। इस वार्ता में चीन ने दोनों देशों के बीच राजदूतों की नियुक्ति और संबंधों को सुधारने पर जोर दिया। चीन का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को कम करना है। भारत ने तालिबान के साथ कूटनीतिक और मानवीय सहायता के माध्यम से संबंध मजबूत किए हैं। जनवरी 2025 में दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी की मुलाकात, साथ ही अप्रैल में काबुल में भारतीय अधिकारियों की यात्रा, भारत की सक्रियता को दर्शाती है।


भारत की रणनीतिक स्थिति

भारत का तालिबान के साथ बढ़ता जुड़ाव, जैसे चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार और मानवीय सहायता, उसे अफगानिस्तान में रणनीतिक बढ़त दे रहा है। लेकिन चीन और पाकिस्तान की त्रिपक्षीय साझेदारी भारत के लिए एक चुनौती बन रही है। तालिबान की तटस्थ नीति और क्षेत्रीय शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश भारत के लिए जोखिम पैदा करती है, खासकर जब अल-कायदा जैसे समूह भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं।