Newzfatafatlogo

भारत-पाकिस्तान संबंधों में तीसरे पक्ष की भूमिका पर विदेश मंत्रालय का स्पष्ट बयान

विदेश मंत्रालय ने हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद के नेताओं के वीडियो संदेशों को लेकर बयान दिया है, जिसमें आतंकवादियों और पाकिस्तान सरकार के बीच की सांठगांठ का खुलासा किया गया है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी वार्ता की आवश्यकता पर जोर दिया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 | 
भारत-पाकिस्तान संबंधों में तीसरे पक्ष की भूमिका पर विदेश मंत्रालय का स्पष्ट बयान

विदेश मंत्रालय का बयान

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि हाल में जारी जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के नेताओं के वीडियो संदेश आतंकवादियों और पाकिस्तान सरकार के बीच की मिलीभगत को उजागर करते हैं। इन वीडियो में जेईएम के नेता भारत के खिलाफ जिहाद के लिए लोगों को आतंकवादी समूह में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वीडियो में यह भी दर्शाया गया है कि मई में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई सैन्य कार्रवाई ने आतंकवादी ढांचे को किस प्रकार प्रभावित किया।


भारत की स्थिति पर स्पष्टीकरण

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया को बताया कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत-पाकिस्तान मुद्दों में किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं हो सकती।" यह बयान पाकिस्तान के हालिया कूटनीतिक प्रयासों और अमेरिकी मध्यस्थता के दावों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।


पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 10 मई को उनसे युद्धविराम के संबंध में संपर्क किया था। डार के अनुसार, उस समय उन्हें बताया गया था कि भारत के साथ किसी स्वतंत्र स्थान पर बातचीत संभव है। हालांकि, 25 जुलाई को वाशिंगटन में हुई मुलाकात में रुबियो ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं।


सैन्य संघर्ष और शांति की दिशा

भारत के सैन्य हमलों के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे पर चार दिनों तक संघर्ष जारी रहा। 10 मई को दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने सैन्य कार्रवाई समाप्त करने पर सहमति जताई। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस सहमति में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।


वार्ता की आवश्यकता

डार ने कहा कि कूटनीति और बातचीत ही सबसे अच्छे विकल्प हैं। उन्होंने मई में अमेरिका द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका की सराहना की। डार ने यह भी कहा कि भारत के साथ किसी भी वार्ता में आतंकवाद, व्यापार, अर्थव्यवस्था और कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए।