भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर एस जयशंकर का स्पष्ट बयान: मध्यस्थता नहीं होगी स्वीकार

भारत की विदेश नीति पर जोर
India Pakistan Ceasefire : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के प्रस्ताव को खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति पिछले लगभग 50 वर्षों से यह रही है कि वह पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की मध्यस्थता या दखलअंदाजी को स्वीकार नहीं करता। यह बयान उस समय आया है जब ट्रंप प्रशासन भारत और पाकिस्तान के बीच शांति प्रयासों का श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है।
भारत की सख्त नीति
रिश्तों में मध्यस्थता पर भारत की सख्त नीति
विदेश मंत्री ने ईटी के फोरम में बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का मुद्दा नया नहीं है। 1970 के दशक से भारत की नीति यह रही है कि वह पाकिस्तान के साथ रिश्तों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि ऐसे मामलों में केवल दो देशों के बीच सीधा संवाद होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी।
पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर टिप्पणी
पाकिस्तान और US के बढ़ते रिश्तों पर टिप्पणी
जब विदेश मंत्री से पाकिस्तान और अमेरिका के बढ़ते करीबी रिश्तों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें कभी-कभी संघर्ष और कभी समर्थन भी देखने को मिला है। उन्होंने इस संदर्भ में अमेरिका की सेना द्वारा 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में की गई ऑपरेशन का उदाहरण दिया, जिसमें अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मारा गया था।
किसानों के हितों पर सरकार की नीति
किसानों के हितों पर सरकार की कड़ी नीति
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत सरकार की नीतियाँ व्यापार, किसानों और देश की संप्रभुता के मुद्दों पर स्पष्ट और सख्त हैं। उन्होंने कहा कि जब बात देश के व्यापार, किसानों के हित या संप्रभुता की होती है, तो भारत किसी भी प्रकार की मध्यस्थता या समझौते को स्वीकार नहीं करता। यदि कोई व्यक्ति या देश भारत की संप्रभुता या किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे भारत के लोगों को इसका जवाब देना होगा।
भारत की दृढ़ता
अपनी नीतियों पर दृढ़ है भारत
एस जयशंकर ने अपने बयान के अंत में दोहराया कि भारत अपनी नीतियों पर दृढ़ है और देश की संप्रभुता, सुरक्षा और किसानों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी को स्वीकार नहीं करेगा और इस मामले में पूरी तरह सख्त रवैया अपनाएगा।