भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए GST सुधार की आवश्यकता

EV GST भारत: एक नई दिशा
नई दिल्ली: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की मांग में तेजी आ रही है, और देश इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि EV क्षेत्र में कर संबंधी कुछ समस्याएं इस विकास को बाधित कर सकती हैं? आगामी GST काउंसिल की बैठक से EV उद्योग को कर सुधार की उम्मीद है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% GST लागू है, जबकि बैटरी और चार्जिंग सेवाओं पर 18% कर है। यह अंतर EV को अपनाने में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
बैटरी और चार्जिंग पर उच्च कर का कारण
वर्तमान में, इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% GST है, लेकिन बैटरी और चार्जिंग या बैटरी-स्वैपिंग सेवाओं पर 18% कर लगता है, क्योंकि इन्हें 'मेंटेनेंस और रिपेयर' सेवा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वास्तव में, बैटरी चार्जिंग और स्वैपिंग बिजली खरीदने के समान हैं। इस उच्च कर का होना EV को बढ़ावा देने और नए व्यापार मॉडल को चुनौती दे रहा है।
पेट्रोल-डीजल वाहनों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा
प्रस्तावित GST सुधार में छोटी पेट्रोल-डीजल वाहनों पर कर को 28% से घटाकर 18% करने का सुझाव दिया गया है। इससे ऑटो सेक्टर की मांग में वृद्धि हो सकती है, लेकिन EV को मिलने वाले कर लाभ में कमी आएगी। HSBC की एक रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यदि ऐसा हुआ, तो EV कंपनियों को नुकसान होगा और इस क्षेत्र की गति धीमी हो सकती है।
वैश्विक स्तर पर EV कर की स्थिति
दुनिया के कई प्रमुख EV बाजारों ने इस समस्या का समाधान कर लिया है। चीन में गाड़ी और बैटरी पर समान कर है, जिसके कारण वहां आधे से अधिक वाहन EV हैं। ताइवान का Gogoro नेटवर्क इलेक्ट्रिक स्कूटरों में प्रमुख है, क्योंकि वहां कर दरें समान हैं। यूरोप भी EV ढांचे पर समान कर की दिशा में बढ़ रहा है। यह स्पष्ट है कि समान कर नीति बाजार को बढ़ावा देती है।
टैक्स कटौती से EV को गति मिलेगी
भारत में बैटरी और स्वैपिंग सेवाओं पर 18% GST है, जबकि EV पर 5% है। नीति आयोग और FICCI का मानना है कि EV और इसके घटकों पर समान कर होना चाहिए। यदि बैटरी चार्जिंग और स्वैपिंग पर भी 5% GST लागू किया जाए, तो सरकार को राजस्व का नुकसान कम होगा, लेकिन EV अपनाने की दर 15-20% तक बढ़ सकती है। इसके साथ ही, चार्जिंग और स्वैपिंग क्षेत्र में हजारों नई नौकरियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।