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भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: जानें सभी महत्वपूर्ण बातें

भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो संसद के सदस्यों द्वारा संचालित होती है। जानें इस चुनाव की प्रक्रिया, उम्मीदवारों की आवश्यकताएँ और आगामी चुनाव में कौन-कौन से उम्मीदवार प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इस चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्ष के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा, जो देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए है।
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भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया: जानें सभी महत्वपूर्ण बातें

उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया


नई दिल्ली। भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं। इस प्रक्रिया में राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य भाग नहीं लेते, जो कि राष्ट्रपति चुनाव में होता है।


उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने के लिए कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक और 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, एक निश्चित जमानत राशि भी जमा करनी होती है।


चुनाव प्रक्रिया की जानकारी


उपराष्ट्रपति का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) प्रणाली के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है। मतदान गुप्त होता है, और मतदाता अपनी प्राथमिकता के अनुसार उम्मीदवारों को वोट देते हैं।


उम्मीदवार को जीतने के लिए कुल वैध मतों का साधारण बहुमत (50 प्रतिशत से अधिक) प्राप्त करना आवश्यक है। यदि पहले दौर की गिनती में कोई उम्मीदवार बहुमत नहीं प्राप्त करता, तो कम वोट वाले उम्मीदवारों को हटाकर उनकी प्राथमिकता के अनुसार मतों का पुनर्वितरण किया जाता है।


उम्मीदवार की आवश्यकताएँ


उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए और उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। उसे राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता भी होनी चाहिए। इसके अलावा, वह लाभ के किसी पद (Office of Profit) पर नहीं रह सकता, सिवाय कुछ अपवादों के।


चुनाव के बाद, उपराष्ट्रपति को भारत के राष्ट्रपति द्वारा शपथ दिलाई जाती है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है और वह पुनः निर्वाचित हो सकता है। भारत का निर्वाचन आयोग उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का संचालन करता है, जिसमें नामांकन, मतदान और मतगणना शामिल होती है। यदि उपराष्ट्रपति का पद खाली होता है (जैसे इस्तीफा, निधन या हटाने के कारण), तो 6 महीने के भीतर नया चुनाव कराना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 63-71 और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के तहत संचालित होती है।


जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद, 9 सितंबर को भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए तैयारी की जा रही है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी से होगा। विजेता देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद और राज्यसभा के सभापति का पद ग्रहण करेगा।