भारत में एच 1बी वीजा शुल्क वृद्धि का असर: पेशेवरों की नौकरी पर खतरा

भारत में एच 1बी वीजा शुल्क में वृद्धि
पिछले एक दशक में भारत में एक ऐसा समूह उभरा है, जो नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के हर निर्णय को मास्टरस्ट्रोक के रूप में प्रस्तुत करता है। जब प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा की, तो लोग अचानक जीव विज्ञान के विशेषज्ञ बन गए और 21 दिनों में कोरोना के खत्म होने का सिद्धांत पेश किया। इसी तरह, जब प्रधानमंत्री ने ताली और थाली बजाने का आह्वान किया, तो लोग खगोल विज्ञान के जानकार बन गए और ताली बजाने के वैज्ञानिक कारणों को खोजने लगे। अजित पवार को जेल भेजने की बात को भी मास्टरस्ट्रोक माना गया, जबकि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाना भी इसी श्रेणी में आता है। अब इस समूह ने अमेरिका द्वारा एच 1बी वीजा की फीस बढ़ाने को भारत के लिए फायदेमंद बताया है।
ट्रंप के टैरिफ और वीजा नीति का प्रभाव
जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, तो इस समूह ने इसकी तुलना बांग्लादेश से की और कहा कि इससे भारत का बाजार बढ़ेगा। लेकिन जब ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार के नाम पर भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया, तो उन्होंने इसे भारत के लिए लाभकारी बताया। उनका तर्क था कि इससे भारत में उद्योग स्थापित होंगे और छोटे उद्यमियों की संख्या बढ़ेगी। इसके बाद, जब ट्रंप ने प्रधानमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, तो इस समूह ने कहा कि अब अमेरिका से व्यापार फिर से सामान्य हो जाएगा।
एच 1बी वीजा शुल्क में भारी वृद्धि
हालांकि, ट्रंप ने एक बड़ा झटका दिया जब उन्होंने एच 1बी वीजा पर शुल्क में भारी वृद्धि की। पहले सालाना शुल्क एक से छह लाख रुपए था, जिसे बढ़ाकर 88 लाख रुपए कर दिया गया। इससे भारत के लगभग सात लाख पेशेवर प्रभावित होंगे, जिनमें से अधिकांश की नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। ये पेशेवर मिड लेवल या एंट्री लेवल पर काम करते हैं और कंपनियों के लिए इतनी महंगी वीजा फीस का भुगतान करना मुश्किल होगा। केवल कुछ उच्च दक्षता वाले पेशेवर ही इस शुल्क को वहन कर पाएंगे।
भारत के पेशेवरों पर प्रभाव
इस समय एच 1बी वीजा धारकों का औसत वेतन 66 लाख रुपए है, और कंपनियां अधिकतम छह लाख रुपए तक वीजा शुल्क का भुगतान करती हैं। इस वृद्धि से भारत के पेशेवरों को बड़ा झटका लगा है और भारत को भी वहां से आने वाले पैसे का नुकसान होगा। फिर भी, 2014 में स्वतंत्र हुए इस समूह ने दावा करना शुरू कर दिया है कि इससे भारतीय पेशेवर अमेरिका की नौकरियां छोड़कर लौटेंगे, जिससे अमेरिका को नुकसान होगा और ये पेशेवर मिलकर भारत को अमेरिका जैसा बना देंगे।