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भारत में नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता पर विवाद

दूरसंचार विभाग की हालिया घोषणा ने भारत में नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय के खिलाफ विपक्ष ने तीखे आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया है कि यह कदम नागरिकों की निजता पर गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकता है। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस ऐप के माध्यम से संभावित सर्विलांस और डेटा सुरक्षा के मुद्दों को उठाया है। क्या यह कदम भारत को एक सर्विलांस राज्य में बदलने की दिशा में है? जानें पूरी कहानी में।
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भारत में नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप की अनिवार्यता पर विवाद

संचार साथी ऐप की अनिवार्यता पर विवाद

दूरसंचार विभाग द्वारा की गई घोषणा ने देशभर में एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है। इस घोषणा में कहा गया है कि भारत में निर्मित हर नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। इस निर्णय के खिलाफ विपक्ष ने सरकार पर तीखे हमले किए हैं।


कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि सरकार इस ऐप के माध्यम से पूरे देश को एक प्रकार के सर्विलांस राज्य में बदलने का प्रयास कर रही है। सरकार ने सभी मोबाइल निर्माताओं और आयातकों को निर्देश दिया है कि हर स्मार्टफोन और सेल फोन में यह ऐप अनिवार्य रूप से डाला जाए। इसके अलावा, पुराने मोबाइल फोन में भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह ऐप डालने का आदेश दिया गया है, जिससे लोगों की निजता को खतरा उत्पन्न हो सकता है।


सुरजेवाला ने कहा कि यदि यह ऐप हर उपयोगकर्ता के फोन में मौजूद होगा, तो सरकार किसी भी नागरिक की लोकेशन को ट्रैक कर सकती है। यह जानना संभव होगा कि कौन कहां गया, किससे मिला और दिनभर में कौन-कौन सी जगहों पर गया।


उन्होंने आगे कहा कि इस ऐप के जरिए सरकार यह भी जान सकेगी कि आपने किससे बात की, कितनी देर बात की, किसको एसएमएस भेजा और व्हाट्सएप पर क्या संदेश भेजा। यदि यह जानकारी सरकार के पास पहुंचती है, तो यह पूरी तरह से निजता का उल्लंघन है।


सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि यदि फोन में यूपीआई या बैंकिंग ऐप है, तो आपकी खरीदारी और खर्च की जानकारी भी सरकार को मिल सकती है। यहां तक कि फोन में मौजूद तस्वीरें, पासवर्ड और निजी डेटा तक की पहुंच भी इस ऐप को मिल सकती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि यदि किसी विदेशी एजेंसी या हैकर ने इस ऐप को हैक कर लिया, तो करोड़ों भारतीयों का डेटा खतरे में पड़ सकता है।


सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि बिना किसी अनुमति, सार्वजनिक चर्चा या साइबर सुरक्षा ऑडिट के, यह ऐप कैसे हर नागरिक पर थोप दिया जा सकता है? उन्होंने संसद में इस मुद्दे को उठाकर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है।


उन्होंने यह भी पूछा कि यदि बाद में ऐप हटाना है, तो इसे जबरदस्ती इंस्टॉल करने का क्या औचित्य है? यदि कोई व्यक्ति चाहें, तो वह ऐप स्टोर से ऐप डाउनलोड कर सकता है, तो इसे फोन में डालकर हटाने की प्रक्रिया क्यों अपनाई जा रही है?


सुरजेवाला ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे जबरदस्ती थोपे गए ऐप उत्तर कोरिया में उपयोग होते हैं और भारत को उसी तरह का देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है।