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भारत में नए श्रम कानूनों का प्रभाव: ग्रेच्युटी का अधिकार अब एक साल की सेवा पर

भारत सरकार ने श्रम कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे श्रमिकों को अधिक सुरक्षा और अधिकार मिलेंगे। नए श्रम कोड्स के तहत, अब एक साल की सेवा के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का अधिकार मिलेगा। यह बदलाव न केवल श्रमिकों के हितों की रक्षा करेगा, बल्कि उद्योगों को भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा। जानें इन नए कानूनों के लाभ और उद्देश्य के बारे में।
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भारत में नए श्रम कानूनों का प्रभाव: ग्रेच्युटी का अधिकार अब एक साल की सेवा पर

नए श्रम कानूनों का परिचय


एक साल की सेवा पर ग्रेच्युटी का अधिकार


भारत सरकार ने श्रम कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए नए और सरल नियम लागू किए हैं। ये नए कानून श्रमिकों के लिए कई लाभ लेकर आएंगे और उनके अधिकारों की सुरक्षा करेंगे। पहले के श्रम कानून स्वतंत्रता से पहले और बाद के समय में बने थे, जब रोजगार की स्थिति और अर्थव्यवस्था की संरचना आज की तुलना में भिन्न थी। इन पुराने नियमों के कारण श्रमिकों और उद्योगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।


चार नए श्रम कोड्स का कार्यान्वयन


21 नवंबर 2025 से चार नए श्रम कोड्स लागू किए गए हैं। ये कोड्स 29 पुराने और जटिल कानूनों को एकीकृत करके एक आधुनिक और लचीला ढांचा तैयार करेंगे। इस बदलाव से श्रमिकों के अधिकारों को सशक्त किया जाएगा और उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा। अब कर्मियों को केवल एक वर्ष की निरंतर सेवा के बाद ग्रेच्युटी का अधिकार प्राप्त होगा।


नए श्रम कोड्स का उद्देश्य


श्रम मंत्रालय का उद्देश्य श्रम नियमों का आधुनिकीकरण करना और बदलती कार्य परिस्थितियों के साथ तालमेल बनाना है। इसके साथ ही श्रमिकों के कल्याण को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना भी शामिल है। मंत्रालय का लक्ष्य एक लचीला और मजबूत उद्योग ढांचा तैयार करना है, जो आत्मनिर्भर भारत और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल को समर्थन दे सके।


नए श्रम कोड्स के लाभ


नए श्रम कोड्स से देश के कार्य वातावरण में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे। इससे महिलाओं को काम करने में अधिक सुविधा मिलेगी और उन्हें रोजगार की सुरक्षा मिलेगी। महिलाएं अब सभी प्रकार के कार्यों में दिन और रात काम कर सकेंगी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और ऑडियो-वीडियो कर्मियों को भी 'वर्किंग जर्नलिस्ट' और 'सिने वर्कर' की परिभाषा में शामिल किया गया है। संविदा कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिलने से रोजगार की गुणवत्ता में सुधार होगा। डिजिटलाइजेशन और 'वन लाइसेंस, वन रजिस्ट्रेशन, वन रिटर्न' से प्रक्रियाएं सरल होंगी। महिलाओं और प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों को भी मजबूत किया जाएगा।