भारत में मतदाता सूची की सफाई के लिए SIR 2.0 प्रक्रिया शुरू
                           
                        SIR 2.0 का शुभारंभ
SIR 2.0: भारत निर्वाचन आयोग ने आज से देशभर में मतदाता सूची की सफाई के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR 2.0) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह व्यापक अभियान 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ चलाया जा रहा है। इस प्रक्रिया में कुल 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। निर्वाचन आयोग का यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से दो दिन पहले आया है, जहां 68 लाख से अधिक फर्जी या मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए थे।
SIR 2.0 का क्षेत्र
कहाँ-कहाँ होगा SIR 2.0: यह प्रक्रिया तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में लागू की जा रही है। इनमें से चार राज्य, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
महत्वपूर्ण तिथियाँ
ये हैं कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ:
- गणना (Enumeration) चरण: 4 नवंबर 2025 से 4 दिसंबर 2025 तक
 - ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी: 9 दिसंबर 2025
 - दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अंतिम तिथि: 8 जनवरी 2026
 - सुनवाई व सत्यापन: 31 जनवरी 2026 तक
 - अंतिम मतदाता सूची प्रकाशन: 7 फरवरी 2026
 
निर्वाचन आयोग ने बताया है कि इस दौरान नागरिक नए मतदाता के रूप में नाम जुड़वाने, गलतियों को ठीक करने या आपत्तियां दर्ज करने के लिए आवेदन कर सकेंगे।
पुराने रिकॉर्ड का मिलान
पुराने रिकॉर्ड से होगा मिलान: निर्वाचन आयोग ने इस बार एक विशेष पूर्व-मैपिंग प्रक्रिया पूरी की है। इसमें वर्तमान मतदाता सूचियों का मिलान 2002 से 2004 के बीच तैयार की गई पिछली SIR सूची से किया गया है। यह स्वतंत्रता के बाद से इस तरह का नौवां विशेष गहन पुनरीक्षण है। बिहार में जब इस साल जून में SIR किया गया था, तब आयोग ने 2003 की मतदाता सूची को आधार वर्ष मानकर सत्यापन किया था। अब बाकी राज्यों में भी पिछले SIR के दौरान तैयार सूची को आधार माना जाएगा।
उद्देश्य
क्या है इसका उद्देश्य? इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान और मतदाता सूची से निष्कासन है। कई राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में पिछले कुछ वर्षों में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी को लेकर विवाद उठते रहे हैं। निर्वाचन आयोग का मानना है कि मतदाता सूची का यह पुनरीक्षण भारत के चुनावी तंत्र को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
हालांकि इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं। कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया सच्चे मतदाताओं को सूची से बाहर करने का जरिया बन सकती है।
अभियान की प्रक्रिया
कैसे चलेगा पूरा अभियान: मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि यह एक लोग-केंद्रित (people-centric) और पारदर्शी प्रक्रिया होगी। प्रत्येक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को हर घर पर तीन बार जाना होगा। उनका दायित्व होगा कि वे हर मतदाता से संपर्क कर गणना प्रपत्र (Enumeration Form) भरवाएं, नए मतदाताओं से Form-6 और आवश्यक घोषणा पत्र लें, तथा सभी दस्तावेज अपने इलेक्ट्रल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) या सहायक ERO (AERO) को सौंपें।
कमजोर वर्गों के लिए व्यवस्था
कमजोर वर्गों के लिए विशेष व्यवस्था: निर्वाचन आयोग ने कहा है कि इस प्रक्रिया में किसी भी वरिष्ठ नागरिक, बीमार व्यक्ति, दिव्यांग (PwD) या आर्थिक रूप से कमजोर मतदाता को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए स्वयंसेवकों की नियुक्ति की जाएगी। उनका काम इन समूहों को फॉर्म भरने और जमा करने में मदद करना होगा।
बिहार से अनुभव
बिहार से मिले अनुभव के आधार पर बदलाव: बिहार में SIR लागू करने के दौरान सामने आई दिक्कतों को देखते हुए आयोग ने नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं। अब लोगों को एडहार कार्ड और बिहार की संशोधित मतदाता सूची को संकेतक दस्तावेज (Indicative Documents) के रूप में मान्यता दी गई है। साथ ही आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता को गणना चरण के दौरान कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
असम की स्थिति
असम को क्यों रखा गया अलग: हालांकि इस अभियान से असम को बाहर रखा गया है। असम में नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि असम में नागरिकता से संबंधित प्रावधान अलग हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार चल रही नागरिकता जांच पूरी होने के बाद ही वहां SIR की घोषणा की जाएगी।
तमिलनाडु सरकार की चुनौती
तमिलनाडु सरकार की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: तमिलनाडु सरकार ने SIR 2.0 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया आगामी विधानसभा चुनावों से पहले "सच्चे मतदाताओं को सूची से बाहर करने" का प्रयास है।
निर्वाचन आयोग का आश्वासन
हालांकि निर्वाचन आयोग ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि किसी भी योग्य भारतीय नागरिक को मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा। SIR 2.0 को भारत के चुनावी इतिहास का एक महत्वपूर्ण और व्यापक सुधारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल मतदाता सूची की शुद्धता बढ़ेगी, बल्कि पारदर्शिता और भरोसा भी मजबूत होगा। आयोग को उम्मीद है कि इस प्रक्रिया के बाद देश की मतदाता सूची अधिक सटीक, समावेशी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनकर सामने आएगी।
