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भारत में महंगाई की गणना में बड़ा बदलाव: ऑनलाइन खरीदारी का डेटा होगा शामिल

भारत सरकार ने खुदरा महंगाई की गणना में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। अब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बिकने वाले सामान की कीमतें भी शामिल की जाएंगी। यह नया डेटा 12 बड़े शहरों से एकत्र किया जाएगा, और सरकार का इरादा CPI का बेस ईयर 2012 से बदलकर 2024 करने का है। नए सिस्टम के लागू होने से महंगाई का बेहतर आकलन संभव होगा और उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलावों को समझने में मदद मिलेगी। जानें इस बदलाव के बारे में और अधिक जानकारी।
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भारत में महंगाई की गणना में बड़ा बदलाव: ऑनलाइन खरीदारी का डेटा होगा शामिल

महंगाई की गणना में नया दृष्टिकोण

भारत सरकार ने खुदरा महंगाई की गणना के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) की गणना में पारंपरिक बाजारों के साथ-साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे ब्लिंकइट, जेप्टो और बिगबास्केट पर बिकने वाले सामान की कीमतें भी शामिल की जाएंगी।


वर्तमान में, CPI की गणना के लिए एक प्रोडक्ट बास्केट तैयार की जाती है, जिसमें खाद्य सामग्री, पेट्रोल-गैस, टेलीफोन बिल और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल होती हैं। इसके बाद, देशभर के 1,100 से अधिक शहरी और ग्रामीण बाजारों से कीमतों का डेटा एकत्रित किया जाता है। लेकिन अब उपभोक्ता व्यवहार में आए बदलाव को ध्यान में रखते हुए, ई-कॉमर्स के डेटा को भी इस गणना में जोड़ा जाएगा।


डेटा संग्रहण का नया तरीका

यह नया डेटा 12 प्रमुख शहरों से लिया जाएगा, जिनकी जनसंख्या 25 लाख से अधिक है। सरकार इन शहरों में ऑनलाइन खरीदारी के लिए लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स जैसे जेप्टो, बिगबास्केट और ब्लिंकइट से फलों, सब्जियों और ग्रॉसरी की कीमतों का डेटा इकट्ठा करेगी। उदाहरण के लिए, लखनऊ में चावल की कीमत बिगबास्केट से और बेंगलुरु में वही डेटा जेप्टो से लिया जाएगा।


नया बेस ईयर और डेटा संरचना

सरकार का उद्देश्य CPI का बेस ईयर 2012 से बदलकर 2024 करना है। इसके साथ ही मोबाइल रिचार्ज, इंटरनेट, केबल टीवी, ओटीटी सब्सक्रिप्शन और हवाई-रेल यात्रा के किराए को भी नए CPI में शामिल किया जा सकता है। इन परिवर्तनों के बाद डेटा संग्रहण का दायरा बढ़कर 2900 बाजारों तक पहुंच जाएगा।


नया सिस्टम 2026 से लागू होगा

यह नया CPI सिस्टम 2026 से लागू होने की संभावना है। इससे सरकार को महंगाई का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी और बदलते उपभोक्ता व्यवहार को समझने में भी सहायता मिलेगी। इससे शहरी और ग्रामीण दोनों स्तरों पर महंगाई की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।