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भारत में मानसून 2025: बाढ़ और भूस्खलन से तबाही का मंजर

इस वर्ष का मानसून भारत के कई राज्यों में भारी तबाही लेकर आया है, जिसमें बाढ़ और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, और मणिपुर जैसे राज्यों में स्थिति गंभीर है। जानें कैसे राहत कार्य चल रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में क्या हो रहा है।
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भारत में मानसून 2025: बाढ़ और भूस्खलन से तबाही का मंजर

भारत में मानसून की तबाही

India monsoon 2025: इस वर्ष का मानसून भारत के विभिन्न राज्यों में भारी तबाही लेकर आया है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और मणिपुर जैसे क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बाढ़ और भूस्खलन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।


उत्तर भारत में तबाही का मंजर

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने कई जिलों में तबाही मचाई है। मंडी जिले में बारिश के कारण नदी उफान पर आ गई और बस डिपो सहित कई वाहन पानी में बह गए। निहरी क्षेत्र में हुए भूस्खलन में तीन लोगों की जान चली गई। अब तक राज्य में मानसून से संबंधित घटनाओं में 409 लोगों की मौत हो चुकी है और 41 लोग लापता हैं।


दिल्ली-NCR और मुंबई की स्थिति

दिल्ली में अगस्त की बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया। लाल किले के पास पानी कमर तक भर गया, यमुना नदी ने खतरे के निशान को पार कर लिया और कई सड़कें जलमग्न हो गईं। गुरुग्राम में भी भारी जलभराव देखा गया। मुंबई में लगातार बारिश के कारण सबवे और मोनोरेल सेवाएं बाधित हो गईं, जिससे यात्री घंटों तक फंसे रहे।


झारखंड और हैदराबाद में बाढ़

रांची में भारी बारिश के बाद कांटा टोली फ्लाईओवर के नीचे ज़मीन धंस गई, जिससे एक एसयूवी गाड़ी धँस गई। सौभाग्यवश कोई हताहत नहीं हुआ। हैदराबाद में भी मूसलाधार बारिश के चलते सड़कें डूब गईं और दो लोग लापता हो गए हैं।


जम्मू-कश्मीर में भूस्खलन

राजौरी में कोटरंका-खवास सड़क भूस्खलन के कारण पूरी तरह बंद हो गई है। ज़मीन खिसकने से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। एक दोमंजिला मकान करीब 50 मीटर नीचे सरक गया। राहत कार्य जारी है और प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय दिए जा रहे हैं।


मणिपुर में बाढ़ का कहर

मणिपुर के इम्फाल पूर्व और थौबल जिले भीषण बाढ़ से जूझ रहे हैं। इरिल और थौबल नदियों के तटबंध टूटने से हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। कई गांवों में पानी भर गया है और राहत शिविर भी डूब चुके हैं। यूनिटी ब्रिज का ढह जाना राहत कार्यों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।