भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम
नई दिल्ली में रक्षा मंत्री की घोषणा
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया है कि भारत अगले वर्ष की शुरुआत तक अपने देश में लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने वाला है। यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान को और मजबूत करेगी और देश की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि करेगी।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बातचीत
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अमेरिका की जीई कंपनी और फ्रांस की सफ्रान जैसी अंतरराष्ट्रीय रक्षा कंपनियों से बातचीत कर रहा है। इस बातचीत का उद्देश्य केवल इंजन खरीदना नहीं है, बल्कि तकनीकी जानकारी का हस्तांतरण भी सुनिश्चित करना है, ताकि भारत भविष्य में अपने बलबूते पर इन इंजनों का निर्माण कर सके।
इंजन निर्माण में आत्मनिर्भरता
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को यह बताना आवश्यक है कि यदि वे इंजन बेचेंगी, तो उन्हें इसका निर्माण भारत में ही करना होगा और तकनीक भी भारत को सौंपनी होगी।
घरेलू उत्पादन की उम्मीद
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले एक वर्ष के भीतर भारत में लड़ाकू विमानों के इंजनों का घरेलू उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह निर्माण पूरी तरह से भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों द्वारा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस परियोजना से संबंधित अंतिम निर्णय सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) द्वारा लिया जाएगा।
भविष्य की योजनाएँ
हालांकि रक्षा मंत्री ने किसी विशेष कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि बातचीत ठोस स्तर पर पहुंच चुकी है और जल्द ही महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि भारत की पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजना, उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए), पर तेजी से काम चल रहा है। यह विमान दोहरे इंजन वाला और अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक से लैस होगा, जिससे दुश्मन के रडार पर पकड़ में आना मुश्किल होगा।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना में विदेशी कंपनियों से तकनीकी सहयोग लिया जा सकता है, लेकिन इसका निर्माण और नियंत्रण पूरी तरह से भारत में ही रहेगा। यह कदम भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगा।
