भारत-रूस की ब्रह्मोस मिसाइल का 'मेड इन इंडिया' संस्करण सेना को सौंपा गया

ब्रह्मोस मिसाइल का ऐतिहासिक कदम
लखनऊ: आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत-रूस के संयुक्त उद्यम की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब पूरी तरह से 'मेड इन इंडिया' के रूप में तैयार है। लखनऊ में स्थित ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन केंद्र में निर्मित पहली खेप आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय सेना को सौंपी गई। इसे देश की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
रक्षा मंत्री की चेतावनी
इस अवसर पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की एक-एक इंच जमीन अब ब्रह्मोस की पहुंच में है। ऑपरेशन सिन्दूर में जो हुआ, वह केवल एक ट्रेलर था। इस ट्रेलर ने पाकिस्तान को यह समझा दिया है कि अगर भारत, पाकिस्तान को जन्म दे सकता है, तो समय आने पर वह... अब मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है, आप सभी समझदार हैं।"
ब्रह्मोस की ताकत
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी तरह स्वदेशी ब्रह्मोस के सेना में शामिल होने से पाकिस्तान की चिंता बढ़ना तय है।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की शक्ति
सूत्रों के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 एमकेआई से एयर-लॉन्च ब्रह्मोस मिसाइल दागी थी। इस मिसाइल ने 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी से पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट कर दिया था। यह पहली बार था जब भारतीय मिसाइल ने इतनी दूर से दुश्मन की धरती पर आतंकी अड्डों को तबाह किया।
तीनों सेनाओं की ताकत
ब्रह्मोस का महत्व
ब्रह्मोस मिसाइल अब भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। भारतीय थलसेना के पास वर्तमान में चार ब्रह्मोस रेजिमेंट हैं, जो सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात हैं। इसके अलावा, भारतीय नौसेना के लगभग सभी प्रमुख विध्वंसक युद्धपोत ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं। भारतीय वायुसेना के सुखोई Su-30 MKI लड़ाकू विमान भी अब एयर-लॉन्च ब्रह्मोस के साथ लंबी दूरी तक सटीक हमला करने में सक्षम हो गए हैं।
भविष्य की योजनाएं
मेड इन इंडिया क्षमता
वर्तमान ब्रह्मोस की रेंज 290 से 400 किमी है, लेकिन DRDO और ब्रह्मोस एयरोस्पेस 'BrahMos-NG' (नेक्स्ट जेनरेशन) पर काम कर रहे हैं। यह हल्की, तेज और स्टील्थ तकनीक से लैस होगी, जिसकी रेंज 500 किमी से अधिक बढ़ने की संभावना है।
लखनऊ में स्थापित यह इकाई भारत की पहली फुल-स्केल असेंबली और इंटीग्रेशन यूनिट है। यहां सालाना 80 से 100 मिसाइलों के उत्पादन की क्षमता है, जिसे बढ़ाकर 150 मिसाइलें प्रति वर्ष करने की योजना है। यह केंद्र न केवल सेना की आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि भविष्य में एक बड़ा निर्यात केंद्र भी बनेगा।