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भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी में नया अध्याय: आधुनिक हथियारों का विकास

भारत और रूस की दीर्घकालिक मित्रता एक नए अध्याय में प्रवेश कर रही है, जिसमें आधुनिक हथियारों के विकास की योजना बनाई जा रही है। हाल ही में हुई एससीओ बैठक में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिसमें सुखोई 30 एमकेआई के अपग्रेड और एस 500 के विकास पर चर्चा की गई है। यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। जानें इस रणनीतिक सहयोग के बारे में और कैसे यह अमेरिका की योजनाओं को चुनौती दे सकता है।
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भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी में नया अध्याय: आधुनिक हथियारों का विकास

भारत और रूस की दोस्ती का नया मोड़

एक प्रसिद्ध अंग्रेजी कहावत है, "एक सच्चा दोस्त वही है जो तब आपके साथ होता है जब बाकी सब लोग चले जाते हैं।" यह कहावत भारत और रूस की दीर्घकालिक मित्रता पर पूरी तरह से लागू होती है। अब यह मित्रता एक नए स्तर पर पहुंचने वाली है, जो कुछ प्रमुख देशों के लिए चिंता का विषय बन गई है। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सरगोई लावरोव के बीच महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिसमें भारत और रूस के बीच कुछ अत्याधुनिक हथियारों के विकास का निर्णय शामिल है, जो विश्व में अद्वितीय होंगे। विशेष रूप से सुखोई एमक्यूआई पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। 


एससीओ बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय

एससीओ की बैठक 26 जून 2025 को चीन के किंगताउ में आयोजित की गई थी। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में जो उत्कृष्टता दिखाई थी, उसके बाद यह निर्णय लिया गया कि भारत और रूस के बीच हथियारों के सहयोग को और बढ़ाया जाएगा। इसमें सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने में रूस भारत की सहायता करेगा। यह कदम भारत की वायुसेना की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर अस्थिर क्षेत्रों में हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए। भारत और रूस उन्नत रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के साथ Su-30MKI को अपग्रेड करने पर चर्चा कर रहे हैं। यह विकास भारत और रूस के बीच की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है, खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच। 


भविष्य की योजनाएँ

इसके अतिरिक्त, भारत और रूस मिलकर एस 500 का विकास करेंगे। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत-रूस की मित्रता रक्षा क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकती है। अमेरिका की सोच के विपरीत, जो मानता था कि भारत उसके पास जाएगा, ऐसा नहीं होने वाला है। एस 500 मेक इन इंडिया के तहत विकसित किया जाएगा और इसके उपयोग से रूस और भारत के मित्र देशों को भी लाभ होगा। भारत और रूस एयर डिफेंस और रडार सिस्टम को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करेंगे।