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भारत-रूस रक्षा सहयोग में नया अध्याय: RELOS समझौते की मंजूरी

रूस की संसद ने भारत के साथ 'रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट' (RELOS) समझौते को मंजूरी दी है, जो दोनों देशों के रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है। इस समझौते के तहत, भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगी। इसके अलावा, ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने के लिए भी नए कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से पहले यह समझौता दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक विश्वास का प्रतीक है।
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भारत-रूस रक्षा सहयोग में नया अध्याय: RELOS समझौते की मंजूरी

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रक्षा समझौता

मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4-5 दिसंबर को प्रस्तावित भारत यात्रा से पहले, दोनों देशों के रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। रूस की संसद के निचले सदन, स्टेट डूमा, ने मंगलवार को भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते, 'रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट' (RELOS), को औपचारिक रूप से स्वीकृति दी है। यह समझौता पिछले सप्ताह रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन द्वारा संसद में पेश किया गया था। इसके पारित होने को रक्षा सहयोग में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक सहयोग और अधिक संगठित होगा।


समझौते के लागू होने के बाद, भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं और अड्डों का निर्बाध उपयोग कर सकेंगी। इस समझौते के तहत, दोनों देशों को एक-दूसरे की भूमि पर सैनिकों और सैन्य उपकरणों को तैनात करने की कानूनी अनुमति मिल गई है। नए प्रावधानों के अनुसार, पार्टनर देश के क्षेत्र में पांच युद्धपोत, दस सैन्य विमान और तीन हजार सैनिकों को एक साथ पांच साल के लिए तैनात किया जा सकता है। यदि दोनों पक्ष सहमत हों, तो इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अतिरिक्त, दोनों देशों के युद्धपोत और विमान एक-दूसरे के बंदरगाहों और हवाई अड्डों का उपयोग ईंधन भरने, मरम्मत और रसद आपूर्ति के लिए कर सकेंगे। यह सुविधा युद्ध के समय के साथ-साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास, मानवीय सहायता और आपदा राहत मिशनों के दौरान भी लागू होगी।


स्टेट डूमा के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोदिन ने सदन में भारत के साथ संबंधों की महत्वपूर्णता पर जोर देते हुए कहा कि ये संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और पूरी तरह से रणनीतिक हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते की पुष्टि बराबरी की दिशा में एक और कदम है, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई मजबूती प्रदान करेगा। वहीं, इंटरनेशनल अफेयर्स कमेटी के डिप्टी चेयरमैन व्याचेस्लाव निकोनोव ने भारत को एक भू-राजनीतिक दिग्गज बताते हुए कहा कि रक्षा सहयोग में भारत एक महत्वपूर्ण साझीदार है और यह समझौता दोनों देशों के बीच विश्वास को और गहरा करेगा।


इस सैन्य समझौते के साथ ही, रूस ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को भी नए स्तर पर ले जाने की योजना बनाई है। रूसी मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान भारत के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के अनुसार, रूसी परमाणु ऊर्जा कंपनी 'रोसएटम' के सीईओ अलेक्सी लिगाचेव नई दिल्ली में होने वाली शिखर वार्ता के दौरान छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के निर्माण और उन्नत रूसी रिएक्टरों के स्थानीयकरण से संबंधित विस्तृत प्रस्ताव पेश करेंगे। ज्ञात हो कि रोसएटम पहले से ही तमिलनाडु के कुडनकुलम में परमाणु रिएक्टरों का निर्माण कर रही है।


भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ पहले ही इस तरह के लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज समझौते किए हैं। अब रूस के साथ इस समझौते के जुड़ने से भारत की सामरिक पहुंच और भी विस्तृत हो जाएगी। राष्ट्रपति पुतिन के नई दिल्ली पहुंचने से पहले इन समझौतों की मंजूरी को दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक विश्वास और रक्षा उत्पादन में सहयोग की नई गति का संकेत माना जा रहा है।