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भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका की चिंता: वाणिज्य सचिव का बयान

भारत और रूस के बीच की मित्रता पर अमेरिका की चिंता एक बार फिर सामने आई है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत द्वारा रूस से हथियार खरीदने को लेकर बयान दिया है, जिसमें उन्होंने इसे अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का ब्रिक्स का हिस्सा होना और डॉलर के खिलाफ खड़ा होना अमेरिका के साथ संबंधों में चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और भारत-अमेरिका के संबंधों की दिशा क्या होगी।
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भारत-रूस संबंधों पर अमेरिका की चिंता: वाणिज्य सचिव का बयान

भारत और रूस की मित्रता पर अमेरिकी प्रतिक्रिया

भारत और रूस के बीच की मित्रता को वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण के रूप में देखा जाता है। इस संबंध के कारण अमेरिका अक्सर असंतुष्ट रहता है। हाल ही में, ट्रंप के पूर्व वित्त सचिव ने इस पर टिप्पणी की है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि जब भारत रूस से सैन्य उपकरण खरीदता है, तो यह अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन जाता है।


लुटनिक ने स्पष्ट किया कि भारत का रूस से हथियार खरीदना और अमेरिका के साथ संबंध बनाए रखना, अमेरिका के लिए एक चुनौती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ब्रिक्स का सदस्य है और यदि वह डॉलर के खिलाफ खड़ा होता है, तो यह उचित नहीं है।


अमेरिका की चिंताएँ और भारत के कदम

हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि भारत ने रूसी रक्षा उपकरणों में निवेश करके अमेरिका को गलत तरीके से परेशान किया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो दोनों देशों के संबंधों में सुधार का संकेत है।


लुटनिक ने यह भी कहा कि भारत द्वारा रूस से सैन्य उपकरण खरीदने और डॉलर के वर्चस्व का समर्थन न करने के कदम ने अमेरिका के साथ संबंधों में चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अमेरिका में मित्र बनाने का यह तरीका नहीं है।


भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध

हालांकि, दोनों देशों ने अपनी चिंताओं को संबोधित किया है और वर्तमान में उनके संबंध बेहतर स्थिति में हैं। लुटनिक ने कहा कि दोनों देश व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जो अमेरिका को नाराज कर सकते हैं।


लुटनिक ने कहा कि यदि भारत रूस से सैन्य उपकरण खरीदता है, तो यह अमेरिका को परेशान करने का एक तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जो एक सकारात्मक संकेत है।