भारत से अमेरिका के लिए निर्यात पर नए आयात शुल्क का प्रभाव

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया
भारत से अमेरिका में निर्यात होने वाले सामान पर अब अतिरिक्त आयात शुल्क लागू हो चुका है। मंगलवार को वॉशिंगटन ने एक आधिकारिक नोटिस जारी किया, जिसमें 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की गई। इस निर्णय का सीधा असर 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात पर पड़ेगा। नए नियमों के अनुसार, अमेरिकी बाजार में जाने वाले अधिकांश भारतीय माल पर कुल शुल्क की दर लगभग 50 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी। उल्लेखनीय है कि 7 अगस्त को अमेरिका ने पहले ही भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इसे भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद पर एक दंडात्मक कदम माना जा रहा है.आदेश का कार्यान्वयन और छूट
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग के हालिया मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि यह शुल्क उन वस्तुओं पर लागू होगा, जिन्हें 27 अगस्त 2025 की मध्यरात्रि 12:01 बजे (ईस्टर्न डेलाइट टाइम) या उसके बाद अमेरिकी सीमा पर उपभोग के लिए प्रवेश दिया जाएगा। हालांकि, जो सामान पहले से अमेरिका के रास्ते में है और 17 सितंबर से पहले क्लीयरेंस प्राप्त कर लेगा, वह इस अतिरिक्त टैरिफ से बच जाएगा। ऐसे आयातकों को सीमा शुल्क अधिकारियों को एक विशेष कोड प्रदान करना होगा, ताकि वे छूट का लाभ उठा सकें.
प्रभावित उद्योग और आंकड़े
नए शुल्क का सबसे अधिक प्रभाव भारत के श्रम-आधारित और निर्यात उन्मुख उद्योगों पर पड़ेगा, जैसे कि वस्त्र, हीरे, समुद्री उत्पाद, चर्म उद्योग, और रसायन। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2024 के व्यापार आंकड़ों के आधार पर लगभग 48.2 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात अब अतिरिक्त शुल्क के दायरे में आ गया है। थिंक टैंक GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात का लगभग 66 प्रतिशत (लगभग 60.2 अरब डॉलर) अब 50 प्रतिशत आयात शुल्क से प्रभावित होगा, जिसमें कपड़ा, परिधान, और फर्नीचर शामिल हैं.
विशिष्ट क्षेत्रों पर दबाव
झींगा निर्यात, जो 2.4 अरब डॉलर का कारोबार है, विशेषकर विशाखापत्तनम की इकाइयों पर असर डालेगा। हीरे और आभूषण का निर्यात लगभग 10 अरब डॉलर है, जिससे सूरत और मुंबई में रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा। कपड़ा-परिधान का व्यापार 10.8 अरब डॉलर है, जो तिरुपुर, एनसीआर और बेंगलुरु की इकाइयों को प्रभावित करेगा. इसके अलावा, बासमती चावल, मसाले, और चाय का निर्यात भी प्रभावित होगा, जिससे पाकिस्तान और थाईलैंड को लाभ मिल सकता है.