Newzfatafatlogo

भारत से ओईसीडी देशों में नागरिकता लेने का बढ़ता ट्रेंड

हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 2.25 लाख भारतीयों ने ओईसीडी देशों की नागरिकता प्राप्त की। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के बाद फिलीपींस और चीन का स्थान है। इस लेख में हम जानेंगे कि भारतीय नागरिकता छोड़कर इन देशों में बसने के पीछे क्या कारण हैं और यह ट्रेंड किस दिशा में बढ़ रहा है।
 | 
भारत से ओईसीडी देशों में नागरिकता लेने का बढ़ता ट्रेंड

ओईसीडी देशों में भारतीय नागरिकता का आंकड़ा

हाल ही में, ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने 3 नवंबर को इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2025 रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में लगभग 2.25 लाख भारतीयों ने ओईसीडी देशों की नागरिकता प्राप्त की। इस दौरान, विश्वभर से करीब 28 लाख लोगों ने इन देशों की नागरिकता ली, जिसमें भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।


अन्य देशों की तुलना में भारत का स्थान

भारत के बाद, फिलीपींस दूसरे स्थान पर है, जहां 1.32 लाख लोगों ने ओईसीडी देशों की नागरिकता हासिल की। चीन तीसरे स्थान पर है, जिसमें 96 हजार लोग शामिल हैं। यह ट्रेंड पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। 2022 में, लगभग 2.15 लाख भारतीयों ने नागरिकता ली थी, जबकि 2021 में यह संख्या 2.07 लाख थी।


ओईसीडी देशों की विशेषताएँ

ओईसीडी में कुल 38 देश शामिल हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे विकसित देश शामिल हैं। इन देशों में जीवन की गुणवत्ता उच्च है, जैसे कि स्वच्छ हवा, पानी, और स्वास्थ्य सेवाएँ। हालांकि, हाल के वर्षों में इन देशों में भारतीयों के प्रति नकारात्मक भावनाएँ भी बढ़ी हैं।


भारत छोड़ने का बढ़ता चलन

दिलचस्प बात यह है कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से भारतीयों के विदेश जाने की प्रवृत्ति में तेजी आई है। 2013 में केवल 15,388 भारतीयों ने ओईसीडी देशों की नागरिकता ली थी, जबकि अब यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।


भारत से जाने का कारण

भारत से लोग किसी मानवीय संकट के कारण नहीं, बल्कि अपनी पसंद से इन देशों में जा रहे हैं। 2023 में लगभग 6 लाख भारतीय पेशेवर कारणों से विदेश गए, जो कि 2022 की तुलना में 8% अधिक है।


भारत में बदलाव और भविष्य की चिंता

यह सवाल उठता है कि भारत में क्या बदलाव आया है, जिसके कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग विकसित देशों में बसने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लोग भविष्य की चिंता के कारण देश छोड़ने को मजबूर हैं।