भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक यात्रा: एक्सिओम-4 मिशन का समापन

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा का समापन
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा अब अपने अंतिम चरण में है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर गए इस दल के लिए रविवार शाम को औपचारिक विदाई समारोह आयोजित किया गया। यह मिशन सोमवार को समाप्त होगा, जिसके बाद दल के सदस्य कैलिफोर्निया के तट पर पृथ्वी पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं।
एक्सिओम-4 मिशन और विदाई समारोह
अंतरिक्ष एजेंसी एक्सिओम स्पेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि एक्सिओम-4 के चालक दल का विदाई कार्यक्रम सोमवार सुबह 8:55 बजे (CT) लाइव प्रसारित किया गया। यह कार्यक्रम अनडॉकिंग से पहले आयोजित हुआ। इस मिशन में चार सदस्य शामिल हैं: कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, और मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीवस्की तथा टिबोर।
नासा द्वारा अनडॉकिंग की पुष्टि
नासा ने पुष्टि की है कि अनडॉकिंग सोमवार को सुबह 7:05 बजे EST (भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे) से पहले नहीं होगी। इस समय आईएसएस पर कुल 11 अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं, जिनमें से सात एक्सपेडिशन 73 से और चार एक्सिओम-4 मिशन से जुड़े हुए हैं।.@NASA will provide live coverage of the undocking and departure of #Ax4 from the @Space_Station Monday, July 14.
— NASA's Johnson Space Center (@NASA_Johnson) July 11, 2025
Coverage will begin with hatch closing at 4:30am ET. The four-member astronaut crew is scheduled to undock around 7:05am. https://t.co/FCJVxXtGax
अंतरिक्ष में सांझा भोज का अनुभव
मिशन के अंत में सभी छह देशों के अंतरिक्ष यात्रियों ने मिलकर एक सांझा भोज का आयोजन किया, जिसमें हर देश के पारंपरिक व्यंजन शामिल थे। अमेरिकी यात्री जॉनी किम ने इस अनुभव को बेहद खास बताया। इस दौरान शुक्ला ने आम का रस और गाजर का हलवा भी भोज में शामिल करवाया, जबकि पोलिश यात्री ने पिरोगी परोसे।
वापसी और पुनर्वास
स्पलैशडाउन के बाद, शुभांशु शुक्ला को सात दिन के विशेष पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा, ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार खुद को ढाल सकें। उड़ान से पहले उन्हें स्पेससूट पहनने और तकनीकी परीक्षणों की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
मिशन लागत और भविष्य की योजना
इसरो ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग ₹550 करोड़ खर्च किए। यह अनुभव भविष्य के गगनयान मिशन (2027) के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिससे भारत का मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और सशक्त होगा।